मामलाः मप्र-राजस्थान को जोड़ने वाले धतुरिया चंबल पुल का
चंबल पुल शीघ्र बनने की आस बंधी
चौमहला|स्मार्ट हलचल|राजस्थान मध्यप्रदेश को जोड़ने वाला बहु प्रतीक्षित चंबल पुल का निर्माण शीघ्र शुरू होगा,इस पुल के निर्माण का ठेकेदार ने डिजाइन तैयार कर विभाग को सुपर्द कर दिया,डिजाइन स्वीकृत होते ही निर्माण कार्य शुरू होगा। सोमवार को ठेकेदार द्वारा नदी के किनारे जेसीबी लगाकर स्टोर के लिए जगह बनाने का कार्य शुरू कर दिया। राजस्थान के वाशिंदे पुल के अभाव में दिल्ली मुंबई ऐट लेन का लाभ नहीं उठा पा रहे है।
राजस्थान को मध्यप्रदेश को जोडने वाला चंबल नदी पर बना ब्रिज 2019 की बाढ़ में टूट गया था छ साल से पुल नहीं होने से लोगो को परेशानी हो रही है। उसके बाद कितने ही अधिकारी और जनप्रतिनिधि मप्र और राजस्थान की सरकार में ब्रिज देख चुका है। लेकिन छह साल से ब्रिज अपने निर्माण का इंतजार कर रहा है। इस पुल का निर्माण मध्यप्रदेश सेतु विभाग द्वारा किया जाना है।
हालाकि प्रदेश सरकार के बजट में 20 करोड़ की मंजूरी भी मिली लेकिन काम अब तक शुरू नहीं। सोमवार को ठेकेदार द्वारा सामान स्टोर के लिए जगह बनाना शुरू कर दिया यह तय है कि बारिश बाद ही यहां विधिवत काम की शुरूआत होगी। उसके बाद काम कब पूरा होगा, यह नहीं कहा जा सकता। विभाग दस दिन बाद काम शुरू होने की बात कर रहा है लेकिन मानसून नजदीक है मतलब साफ है कि अभी लोगों की परेशानी कम नहीं होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पचास किमी का फेर बचाने के लिए तीन सौ लोग रोजाना स्टीमर और डोंगी से नदी पार कर रहे हैं। अब तक पंद्रह से ज्यादा हादसे यहां हो चुके हैं। दो नावें यहां दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है। दो हादसों में दस माह के दौरान चार लोगों की जान भी जा चुकी है।
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आचार संहिता लगने से पहले करवा दिया
सीएम से वर्चुअल भूमिपूजन
अक्टूबर 2020 उपचुनाव में मध्यप्रदेश सुवासरा विधान सभा के हरदीपसिंह डंग की प्रमुख घोषणाओं में से एक हवा में लटकते इस पुल का निर्माण भी था। उन्होंने इस ब्रिज को बनाने का हवाला देकर चुनाव जीता और मंत्री भी बने। अधुरे ब्रिज का मुद्दा दिसंबर 2023 विधान सभा चुनाव में भी उनके काम आया और डंग दोबारा चुनाव जीते। इसके डेढ़ साल बाद भी प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो पाई। हैरानी की बात तो यह भी है कि आचार संहिता लगने से पहले अफसरों ने बिना प्रक्रिया के ही तत्कालीन मुख्यमंत्री के हाथों वर्चुअल भूमिपूजन भी करवा दिया।
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टेंडरों में ही उलझा रहा ब्रिज
दो राज्यों की सरकार व सुवासरा-सीतामऊ मध्यप्रदेश विस में तत्कालीन मंत्री तक इस ब्रिज का निर्माण नहीं कर पाए। टेंडरों में ही ब्रिज लंबे समय तक उलझता नजर आया। विभाग को 6 बार इसके लिए टेंडर करना पड़े छठी बार निर्माण के लिए कंपनी आगे आई और इसके बाद मिट्टी परीक्षण हुआ। अब इस आधार पर डिजाइन पर चल डिजाइन कंप्लीट हुई है। इतने सालों से प्रक्रियाओं में ही मामला उलझा हुआ है। जनवरी में मिट्टी परीक्षण के बाद अब डिजाइन से आगे काम बढ़ा है ठेकेदार द्वारा नदी के समीप साफ सफाई का कार्य शुरू किया यहां स्टोर रुम बनाना है। ऐसे में लंबे समय से यात्री जान जोखिम में डालकर चंबल नदी पार कर रहे है।
इंदौर की कंपनी को करना है निर्माण
धतुरिया पुल के निर्माण के लिए कंपनी द्वारा मिट्टी परीक्षण किया गया है। पुल की मंजूरी के बाद पांच बार टेंडर में कोई कंपनी आगे नहीं आई। इसके बाद छटी बार में टेंडर हुआ और मिट्टी परीक्षण हुआ। इंदौर की कंपनी ने
कल्याण टोल इंफ्रा लिमिटेड ने 20 करोड 83 लाख 23 हजार की राशि में इसको बनाने का टेंडर लिया है।
इस बार 14 पिलर का पुल बनाया जाएगा। इसमें 20 मीटर ऊंचाई के 4 व 25 मीटर ऊंचाई के 10 पिलर बनेंगे। साथ ही पुल की लंबाई भी 228 मीटर से बढ़ाकर 330 मीटर रहेगी। पहले हाई रिवर पुल था जो बहाव में बह सकता था। इस बार समर रिवर पुल का निर्माण होगा। यह तेज बहाव में भी नहीं बहेगा। इसी के साथ नदी तल से ऊंचाई भी बढ़ेगी।
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50 से 60 किमी घूमना पड़ रहा, स्टीमर एकमात्र सहारा
ब्रिज के बहने के बाद चौमहला गंगधार कुंडला व मध्यप्रदेश के दीपाखेड़ा, दलावदा, दंडेरा, साताखेड़ी, लदुना आदि गांव में व्यापार-व्यवसाय प्रभावित हुआ है। अभी चौमहला से मंदसौर सीतामऊ जाना है तो सुवासरा या आलोट होकर जाना पड़ता है। इससे 50 से 60 किमी का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है। इससे समय व धन की बर्बादी हो रही है। इसके अलावा वर्तमान में नदी तटों के गांवों को जोडने का स्टीमर ही एक मात्र सहारा है। इसमें दो पहिया वाहन भी चढ़ाए जाते हैं। यात्री भी बड़ी संख्या में इसमें सफर कर रहे है। जोखिम के बीच चंबल नदी हर दिन ग्रामीण पुलिया के अभाव में स्टीमर से पार कर रहे है। राजस्थान के झालावाड़ व मदंसौर जिले का सीधा कनेक्शन हो जाएगा। पुलिया के अभाव में दोनों राज्यों का आवागमन प्रभावित हो रहा है। इस पुल के बनने से वे दूरी भी कम हो जाएगी।
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ऐंट लेन का नहीं मिल रहा
चंबल नदी के उस छोर के समीप दलावता गांव के पास दिल्ली मुंबई ऐट लेन मार्ग बना हुआ है यहां पॉइंट बना हुआ है जिससे यहां चढ़ना उतरना होता है , ऐठ लेन चौमहला से मात्र बीस किमी दूर है लेकिन चंबल पर पुल नहीं होने के कारण डग , बडौद,आवर,चौमहला गंगधार सहित कई कस्बों के यात्री इसका लाभ नहीं उठा पा रहे है।
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भाजपा मंडल अध्यक्ष गौतम जैन क्षेत्र में चंबल पुल को लेकर चल रही अफवाहों को लेकर मध्यप्रदेश के सुवासरा विधायक हरदीप सिंह डंक सहित विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा की,अधिकारियों ने उन्हें शीघ्र काम शुरू होने के बारे में बताया।
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टेंडर प्रक्रिया के बाद मिट्टी परीक्षण हो चुका है। ठेकेदार द्वारा गत शुक्रवार को डिजाइन बनाकर दे दिया है यह डिजाइन हमने मध्यप्रदेश सेतु निर्माण परिक्षेत्र भोपाल को भिजवा दी है वहा से दस दिन में डिजाइन स्वीकृत होते ही निर्माण शुरू हो जाएगा।
प्रवीण नरवरे
एसडीओ
मध्यप्रदेश सेतु निर्माण विभाग मंदसौर
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सोमवार से नदी पर जेसीबी मशीन लगाकर साफ सफाई का कार्य शुरू कर स्टोर के लिए जगह बनाई जा रही है यहां स्टोर रुम बनाकर सीमेंट सरिया रखा जाएगा तथा दीपाखेड़ा गांव के समीप सीमेंट प्लांट लगाया जाएगा,ढाई साल में पुल बनाकर तैयार कर दिया जाएगा।