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शाहपुरा में मूसलाधार बारिश से देवरी गांव के भील मोहल्ले में आठ मकान ढहे

पेसवानी
स्मार्ट हलचल|शाहपुरा क्षेत्र में सोमवार को अलसुबह से ही आसमान ने जमकर कहर बरपाया। करीब सुबह 4 बजे शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने ग्रामीण इलाकों को खासा प्रभावित किया। बिलिया पंचायत के अंतर्गत देवरी गांव में भील मोहल्ला इस बारिश का सबसे बड़ा शिकार बना। यहां लगातार हो रही तेज बरसात के चलते एक-एक कर आठ कच्चे मकान ढह गए।
गनीमत रही कि हादसे के समय सभी परिवारजन नींद से जाग चुके थे और सुरक्षित बाहर निकल गए। इस वजह से किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, लेकिन अचानक मकानों के ध्वस्त होने से पूरा इलाका दहशत में आ गया। लोगों में भय और चिंता का माहौल व्याप्त हो गया है।

प्रभावित परिवारों के मकान ध्वस्त
पंचायत समिति सदस्य सांवरलाल गुर्जर ने बताया कि सोमवार सुबह हुई तेज बारिश से भील समाज के आठ परिवार बेघर हो गए। इनमें घीसी / ओमप्रकाश, प्रेमी / गिरधारी, छोटी / हिरा, चंदु / दुर्गा, प्रहलाद / मोहन, बालु / घीसु, अमरचंद / छोटु और रतन / छोटु के मकान पूरी तरह से जमींदोज हो गए। अचानक हुए इस हादसे से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया।

प्रशासन को सूचना
गुर्जर ने तत्काल पंचायत समिति व तहसील प्रशासन को घटना की जानकारी दी। प्रशासनिक अधिकारियों से प्रभावित परिवारों को राहत और मदद मुहैया कराने की मांग की गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने भी प्रशासन से आपदा प्रबंधन के तहत सहायता राशि और अस्थायी आवास की व्यवस्था करने की अपील की है।

भय और चिंता का माहौल
मकानों के टूटने से भील मोहल्ले के परिवार पूरी तरह से खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। अचानक बारिश के बीच मकान ढहने से बच्चों और बुजुर्गों में गहरा डर बैठ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हो रही बरसात से आसपास के अन्य कच्चे मकानों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया कि प्रभावित परिवारों को शीघ्र मुआवजा दिया जाए ताकि वे फिर से अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकें। साथ ही गांव में बारिश के पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने की भी मांग की गई है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

गनीमत से बची जनहानि
हालांकि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि मकान गिरने का समय अलग होता तो बड़ी त्रासदी हो सकती थी। सभी लोग समय रहते घरों से बाहर निकल आए, जिससे उनकी जान बच सकी।देवरी गांव का यह हादसा ग्रामीण अंचलों में कच्चे मकानों की मजबूरी और बरसात के मौसम में आने वाली कठिनाइयों को एक बार फिर सामने लेकर आया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी जल्दी प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाता है।

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