अफ़्रीका में मारबर्ग वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. ये वायरस इतना ख़तरनाक है कि गंभीर लक्षण होने पर दस दिन के भीतर मरीज़ की मौत हो जाती है. इस वायरस का कोई इलाज या वैक्सीन भी नहीं है. केवल लक्षण के आधार पर ट्रीटमेंट होता है. लेकिन अगर ये वायरस शरीर के अंगों पर असर करने लगे और ब्लीडिंग हो जाए तो मरीज़ की जान बचाना काफ़ी मुश्किल हो जाता है.
मारबर्ग वायरस की पहचान सबसे पहले 1967 में जर्मनी के मारबर्ग में एक प्रयोगशाला कर्मचारी द्वारा की गई थी. यह इबोला वायरस के ही परिवार से ताल्लुक रखता है. यह वायरल रक्तस्रावी बुखार है (hemorrhagic fever) जो घातक रक्तस्राव और अंगों में विफलता का कारण बनता है. ऐसे में इसका नाम मारबर्ग वायरस पड़ा. यह अत्यधिक संक्रामक और अक्सर घातक रक्तस्रावी बुखार, जो वायरस का कारण बनता है, वर्तमान स्वास्थ्य के लिए खतरा है, और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर इस पर काबू नहीं पाया गया, तो यह वायरस COVID-19 वायरस जैसी एक और बड़ी महामारी को ट्रिगर कर सकता है. ऐसे में आइे जानते हैं इस वायरस के बारे में-
- क्या है Marburg virus-
डॉक्टर्स की मानें तो Marburg virus कोविड से ज्यादा खतरनाक है. कोविड में डेथ रेट करीब 2 फीसदी था, लेकिन इस वायरस में डेथ रेट 70 से 90 फीसदी है. Marburg virus मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है, ये ‘जूनोटिक’ है. ये एक संक्रामक बीमारी है. ये संक्रमण चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है. फिर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. ये वायरस इबोला फैमिली का ही माना जा रहा है. ये संक्रमित व्यक्ति के खून, उल्टी, लार और शारीरिक तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. हालांकि ये वायरस हवा में नहीं फैलता है.
इस सप्ताह की शुरुआत में जारी एक बयान में, रवांडा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि वे मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के खिलाफ एक टीका अध्ययन शुरू करेंगे, इसने अब तक 12 से अधिक लोगों की जान ले ली है.
वायरस शरीर में कैसे प्रवेश करता है?
मारबर्ग वायरस की संचरण प्रक्रिया बिल्कुल इबोला और कोविड-19 वायरस की तरह है. वायरस मुख्य रूप से संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ, जैसे रक्त, लार और उल्टी के सीधे संपर्क से फैलता है. यह संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है, या जब कोई अन्य व्यक्ति उन वस्तुओं के निकट संपर्क में आता है जिन्हें संक्रमित व्यक्ति ने इस्तेमाल किया है या छुआ है. यह वायरस दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है.
मारबर्ग वायरस के लक्षण-
- तेज़ बुखार
- भयंकर सरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- दस्त
- उल्टी करना
- छाती में दर्द
- खांसी
- गला खराब होना
- पेट में दर्द
- पीलिया
जैसे-जैसे बीमारी गंभीर होती जाती है नाक, मुंह, आंख और जननांगों सहित शरीर के विभिन्न छिद्रों से रक्तस्राव होने लगता है. यह रक्तस्राव गंभीर और जीवन के लिए खतरा हो सकता है.
कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस
डॉ बताते हैं कि मारबर्ग आरएनए वायरस है जो मुख्यतौर पर चमगादड़ों में पाया जाता है. चमगादड़ों के संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है. इसके बाद एक से दूसरे व्यक्ति में इसका ट्रांसमिशन होता है. संक्रमित व्यक्ति के ब्लड, लार के संपर्क में आने से एक से दूसरे व्यक्ति में वायरस जाता है. इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के द्वारा यूज की गई सुई, कपड़ों, बिस्तर, और अन्य वस्तुओं के संपर्क में आने से भी ये फैलता है.
मारबर्ग वायरस से बचाव कैसे करें
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं
फ्लू के लक्षण दिखने पर इलाज कराएं
अफ्रीका की यात्रा करने से बचें
घर में साफ-सफाई रखें
कमजोर इम्यूनिटी वालों का विशेष ध्यान रखें.