मनुष्य का अपमान होना भी मृत्यु के बराबर – साध्वी पूजा
बड़वाई चक्र भवानी मंदिर पाटौत्सव
बन्शीलाल धाकड़
डूंगला।स्मार्ट हलचल/क्षेत्र के चक्र भवानी मंदिर बड़वाई पर चल रहे दसवें पाटौत्सव के दौरान आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिवस में साध्वी पूजा दीदी ने कहा कि मनुष्य की मृत्यु होना ही जीवन का अंत नहीं है जीते जी उसका अपमान होना भी मृत्यु के बराबर है, मनुष्य को हमेशा सद् कर्म करते हुए अपनी जीवन रूपी इस नैया को आगे ले जाना चाहिए। हमारे इस मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं है किस पल हमें यहां से जाना पड़ जाए कौन कितने साल जिएगा यह कोई तय नहीं है इसलिए जीवन में वह करो जिससे सब तरफ आपकी प्रशंसा हो आपके जाने के बाद भी लोग आपको याद करें। श्रीमद् भागवत के प्रसंगों का वर्णन करते हुए कौरव पांडव युद्ध व भगवान श्री कृष्ण की भूमिका के बारे में बताते हुए एवं भीम द्वारा अश्वत्थामा नाम के हाथी की मृत्यु कर पांडवों के गुरु जी को उनके पुत्र अश्वत्थामा की मृत्यु के समाचार देकर उन्हें युद्ध से रोकने के वृतांत सहित श्रीमद् भागवत के कई मार्मिक प्रसंगों को सुनाया। साध्वी पूजा दीदी ने कहा कि भागवत कथा के अनुसार ब्राह्मण कितना ही पापी क्यों न हो लेकिन उसे मृत्युदंड नहीं देना चाहिए और रामायण महा ग्रंथ के अनुसार पापी चाहे कोई भी हो उसे क्षमा नहीं किया जाना चाहिए। साध्वी पूजा ने हमारी हिंदू सनातन संस्कृति से जुड़े रहने एवं देश धर्म की रक्षा में सदैव आगे रहने का आह्वान किया। साध्वी पूजा ने कहा कि यदि हमारा देश ही नहीं बचेगा, हमारा धर्म ही नहीं बचेगा तो हमारा इस धरती पर रहने से कोई औचित्य नहीं है। कहां की भागवत कथा हमें जीवन जीने की कला सीखा रही है यदि हम इस कथा को अपने जीवन में उतारते हैं और उसी के अनुरूप चलते हैं तो हमसे कभी किसी का बुरा नहीं होगा, किसी के प्रति बुरा विचार नहीं आएगा और समय रहते हम भगवान की सेवा में लीन रहेंगे, कहा कि हमें भगवान की सेवा करने के लिए बुढ़ापे का इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि भगवान की सेवा तो बचपन से करने की आदत होनी चाहिए तब ही जाकर हम भगवान की सेवा में अपना पूर्ण मन लगा पाएंगे। बड़वाई मां चक्र भवानी मंदिर प्रांगण में आयोजित इस श्रीमद् भागवत कथा को सुनने के लिए गांव सहित आसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा प्रतिदिन सांय 7 बजे से 10 बजे तक चल रही है।