नीरज मीणा
स्मार्ट हलचल/महवा।सिकराय के ठीकरिया गांव में बाग वाला किसान परिवार में बेटों ने अपनी मां की अस्थियों का विसर्जन अपने खेतों में किया। मां को खेती-बाड़ी से विशेष लगाव था वह कहती थी मरने के बाद मेरी अस्थियों को खेतों में पानी चला कर बहा देना। मां का पूरा जीवन खेती बाड़ी करते हुए उनके बीच में ही गुजरा था। इसलिए मां की इच्छा पूर्ति के लिए यह अनुठी पहल की गई ।परिवार के वरिष्ठ सदस्य धर्म सिंह ने बताया कि ठीकरिया गांव में बाग वाले किसान परिवार में बाबा किशोरी पटेल की धर्मपत्नी किशनी देवी का लगभग 85 वर्ष के अवस्था में 30 नवंबर 2024 को देहावसान हो गया था। किसान परिवार की महिला को खेती बाड़ी से बहुत लगाव था उसने खेती के साथ-साथ अनेक फलदार तथा छायादार पेड़ पौधे लगाए वह अपनी अस्थियों को उस मिट्टी का भाग बनाना चाहती थी जिसका अन्न- जल खा- पीकर उसने अपने परिवार का भरण पोषण कियाथा। बेटे जगनमोहन व विमल कुमार ने बताया कि मां की इच्छा अनुसार उनकी अस्थियों एवं राख का विसर्जन 2 दिसंबर को परिवार सहित मिलकर सभी सगे संबंधियों के साथ खेतों में पानी चला कर कर दिया गया.
किशनी देवी एक दृढ़ इच्छाशक्ति एवं बहुत मेहनत कश महिला थी जिन्होंने खेतीबाड़ी में मेहनत कर अपने परिवार के सभी बच्चों को अच्छा पढ़ाया लिखाया. इनके परिवार में कई बच्चे शिक्षक है तथा उनका छोटा बेटा विमल कुमार भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के उच्च अधिकारी है तथा उनका पौत्र परीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी है।
सभी परिवार जनों ने मां की इच्छा अनुसार ही उनकी अस्थियों का खेतों में विसर्जन करने के दौरान बताया की वे परंपरा के नहीं बल्कि आडंबर के खिलाफ हूं,लोग दिखावे के चक्कर में कर्मकांड, आडंबर के नाम पर व्यर्थ खर्च करते हैं अगर खर्च करना ही है तो बेटियों को शिक्षित करने में करना चाहिए क्योंकि शिक्षित लोग ही समाज को सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास करते हैं।
उनके पुत्र विमल कुमार ने बताया कि मृत्यु भोज एक अनावश्यक खर्च है और मृत्यु भोज एवं अन्य अनावश्यक कर्मकांडों की बजाय वो बालिका शिक्षा और गाँव में पुस्तकालय के विकास पर पैसा खर्च करना उचित समझते है।