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जिले के छत्रपुरा पटवार हलके में खसरा संख्या 16 में हेराफेरी कर शमशान भूमि को गैर मुमकिन किया दर्ज

राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर गायब कर दिया 11 बीघा भूमि पर स्थित शमशान गायब, वर्तमान में भूमि पर अतिक्रमी काबिज।

बूंदी-स्मार्ट हलचल|छत्रपूरा में 11 बीघा भूमि पर स्थित शमशान को राजस्व विभाग ने सरकारी रिकार्ड से गायब कर दिया । पूरे शमशानों की भूमि पर अतिक्रमण करवा दिया। बेखौफ होकर लोगों ने यहां स्थाई निर्माण तक करा लिए हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से शहर की बेशकीमती भूमि, जो शमशान के लिए आरक्षित थी, उसकी राजस्व विभाग सुरक्षा तक नहीं कर पाया।

छत्रपुरा पटवार हलके में भू-माफिया की मिलीभगत से राजस्व विभाग के अधिकारियों ने खसरा संख्या 16 में हेराफेरी कर पटवार हलके की खसरा संख्या 16 में स्थित 1.6995 हैक्टेयर यानी लगभग 11 बीघा भूमि जो
शमशान के नाम से दर्ज थी, उसे मिलीभगत करके सरकारी रिकार्ड में हेरफेर कर गैर मुमकिन दर्ज कर दिया गया। इस बेशकीमती भूमि के सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ कर पूरी भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण भी कर लिया है। मौके पर वर्तमान में हालात बहुत खराब हैं, सारी भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखे हैं, जहां पर लोगों के व्यावसायिक कारोबार चल रहे हैं। लोगों का प्रभाव इतना है कि उक्त भूमि शमशान होते हुए भी 2005 से 2008 में पट्टे तक जारी करवा लिए थे। जिन्हें तत्कालीन प्रशासन ने जांच कर शमशान भूमि का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया।

नगरपालिका प्रशासन ने भी वर्ष 2008 में खसरा संख्या 16 में ही भूखंडों की नीलामी तक लगा दी थी। लोगों ने बोली लगाकर एक चौथाई राशि जमा कराकर मौके पर कब्जा कर लिया। लेकिन, बाद में जानकारी मे आने के बाद नगरपालिका ने शमशान भूमि का हवाला देते हुए बोली निरस्त कर दी। लेकिन लोगों ने मौके से अतिक्रमण नहीं छोड़ा, न ही नगरपालिका ने एक भी अतिक्रमण शमशान भूमि से हटाया। उक्त स्थान पर लोग आज भी कब्जा जमाए बैठे हैं।

इस मामले से संबंधित स्थान कीऑनलाइन जमाबंदी
निकलवाई तो उसमें वर्तमान में वहां पर स्थित भूमि को गैर मुमकिन दर्ज बताया गया है। जबकि, पूर्व के संवत उक्त 2056 से 59 व सेटलमेंट में संवत 2028 से 47 तक सरकारी राजस्व रिकार्ड का अवलोकन किया तो उसमें खसरा संख्या 16 गैर मुमकिन शमशान भूमि दर्ज थी। ऐसे में प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने भूमि की किस्म ही बदल दी है, ताकि उक्त खसरा भूमि का गुप चुप तरीके से धीरे-धीरे दुरुपयोग किया जा सके। तहसील प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे बैठा हुआ है। तहसीलदार बूंदी न तो मामले की जांच करवाना चाहते हैं और न मामले में ओर कोई कार्रवाई करना चाहते हैं। रिपोर्टर ने जब उनसे इस मामले में हुई गड़बड़ी व कार्रवाई करने को लेकर बात की तो उन्होंने इसे साधारण बात बताया। तो उन्होंने इस भूमि पर कोई भी कार्रवाई करने से मना कर दिया। यहां तक कि मामले की जांच करवाने से भी इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार श्मशान, कब्रिस्तान, नदी, तालाब, खेल मैदान, पार्क, पार्किंग का भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जा सकता। लेकिन, इन स्थानों पर हो रहे अतिक्रमणों से स्थानीय प्रशासन की अनदेखी साबित होती है। गौरतलब है कि उक्त स्थानो
की भूमियों की किस्म चेंज नहीं की जा सकती लेकिन सम्बंधित विभाग के कर्मचारीयों ने किस्म चेंज कर दी ओर विभाग द्वारा उन कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जिनके कारण विभाग को लाखों रूपए का आर्थिक नुकसान हुआ है

इस मामले में सेवानिवृत्त तहसीलदार आमोद माथुर ने बताया कि राजस्व रिकॉर्ड में अगर पूर्व में शमशान था, तो वर्तमान में भी उसको रिकॉर्ड में शमशान दर्ज किया जाना चाहिए। मौके पर हुए निर्माण व अतिक्रमण को हटाने के लिए सम्बंधित विभाग प्रभावी भूमिका निभाएं। हर चार साल में चौसाला जमाबंदी बनती है। ये किस समय हुआ, इसकी जांच अपेक्षित है। कार्रवाई तो नियमों के अनुसार ही होनी चाहिए।
अर्जुनलाल मीणा,
तहसीलदार बूंदी

नगरपरिषद से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि
रिकॉर्ड से पता करेंगे, क्या मामला है।अतिक्रमण है तो दिखाएंगे किसके हैं। इस भूमि पर पट्टे बने हैं तो जांच कराएंगे और नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
धर्मेंद्र मीणा,
आयुक्त, नगरपरिषद, बूंदी

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