आज के समय में चैटबॉट अति सुविधाजनक और विश्वसनीय उपकरण बन गये है। लेकिन इन पर ज्यादा निर्भरता भी किसी के व्यक्तिगत जीवन के लिए हानि भी हो सकती है। विशेषज्ञ एआई चैटबॉट और चैटजीपीटी पर अति निर्भरता के खिलाफ अलर्ट करते आए हैं। खासतौर पर स्वास्थ्य सलाह लेने जैसे संवेदनशील मामलों में इन पर निर्भरता का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इन क्षेत्रों में मार्गदर्शन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश (AI) की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती निर्भरता को देखते हुए विशेषज्ञों ने ChatGPT और अन्य AI चैटबॉट्स के साथ व्यक्तिगत या मेडिकल डिटेल्स को अधिक शेयर करने से बचने की सलाह पर जोर दिया है।
OpenAI और MIT द्वारा की गई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग रोजाना ChatGPT जैसे चैटबॉट्स के साथ ज्यादा समय बिताते हैं, वे भावनात्मक रूप से इस पर निर्भर होने लगते हैं। परिणामस्वरूप, उन्हें वास्तविक जीवन में सामाजिक मेलजोल में परेशानी होती है और वे अकेलापन महसूस करने लगते हैं। रिसर्च में यह पाया गया कि इन चैटबॉट्स के उपयोगकर्ता अपने मानव रिश्तों में कम भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं, जिससे वे और भी अकेला महसूस करने लगते हैं।
कभी-कभी AI से जुड़ी चिंताएं और जोखिम
हाल ही में एक अन्य मामले में बच्चों के चैटबॉट्स के द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप भी सामने आया था। यह घटना इस बात का सबूत है कि चैटबॉट्स का अत्यधिक उपयोग और उनकी क्षमता लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में पूरी तरह से निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
चैटबॉट्स और मानसिक परेशानी के बीच रिश्ता
मनोवैज्ञानिकों और रिसर्चर्स के मुताबिक, चैटबॉट्स का उपयोग मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोगों के लिए एक अस्थायी राहत का साधन हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह और भी बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। जब लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भावनात्मक संबंध स्थापित करने लगते हैं, तो वे वास्तविक रिश्तों की जगह नहीं ले सकते। इस तकनीक का अधिक इस्तेमाल सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।