India alliance challenges Congress:इस समय कहा जाय तो इंडिया गठबंधन की हालत ख़राब है । गठबंधन बना था भाजपा से लड़ने के लिए पर हाल फ़िलहाल तो सभी दलों के स्वर अलग – अलग राग अलाप रहे है । पश्चिम बंगाल की हालत ही देख लो, वहां की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कह रही है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में 300 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद वह 40 सीटें भी नहीं जीत पाएगी। बनर्जी ने कांग्रेस को वाराणसी लोकसभा सीट जीतने की भी चुनौती दी, जो पिछले दो कार्यकाल से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है। उन्होंने एक चिंताजनक पैटर्न की ओर भी इशारा किया, जहां कांग्रेस उन क्षेत्रों पर अपनी पकड़ खो रही है जहां उसकी मजबूत उपस्थिति हुआ करती थी।
स्पष्ट है कि ममता बनर्जी की कटु टिप्पणी पश्चिम बंगाल में बदलती राजनीति का एक नया पहलू उजागर करती है। कांग्रेस से अलग होने का उनका निर्णय और उसके बाद पार्टी पर हमले राज्य में बदलते राजनीतिक परिदृश्य को उजागर करते हैं। बनर्जी ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस, मुझे नहीं पता कि आप 300 में से 40 सीटें जीतेंगे या नहीं। इतना अहंकार क्यों? आप बंगाल आए, हम एक इंडिया गठबंधन हैं। मुझे कम से कम बताएं। मुझे प्रशासन से पता चला। अगर आपमें हिम्मत है, वाराणसी में भाजपा को हराओ। आप उन जगहों पर हार गए जहां आप पहले जीते थे!
ममता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हमारा एक भी नहीं है। राजस्थान में आप नहीं जीते। जाओ और उन सीटों को जीतो। मैं देखूंगी कि आप कितने साहसी हो। जाओ और इलाहाबाद जीतो, वाराणसी जीतो। आइए देखें कि आप कितनी साहसी पार्टी हैं! राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बंगाल चरण का जिक्र करते हुए, जिसमें कांग्रेस नेता को ‘बीड़ी’ श्रमिकों के साथ बातचीत करते देखा गया था, ममता बनर्जी ने कहा, “अब एक नई शैली सामने आई है… एक फोटो शूट की। जो लोग कभी नहीं गए हैं एक चाय की दुकान पर अब दिखाया गया है कि वे बीड़ी श्रमिकों के साथ बैठते हैं। वे सभी प्रवासी पक्षी हैं।”
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाली 42 सीटें मायने रखती हैं। यहां जो भी पार्टी ज्यादा बड़ी जीत दर्ज करेगी, उसकी दिल्ली राह उतनी ही आसान मानी जाएगी। लेकिन इस अहम राज्य में इंडिया गठबंधन ही तकरार का शिकार हो गया है। ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच में एक नहीं बन रही है। इसके ऊपर शुक्रवार को मुख्यमंत्री की तरफ से देश की सबसे पुरानी पार्टी को एक अल्टीमेटम भी दे दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मुझे शंका है कि अगर कांग्रेस 40 सीटें भी जीत पाएगी। मैं तो फिर भी दो सीटें दे रही थी, वो जीत भी जाते। लेकिन उन्हें और ज्यादा सीटें चाहिए थीं। मैंने कहा ठीक है, सभी 42 सीटों पर लड़ लो। उसके बाद से उनसे कोई बातचीत नहीं हो रही है। बंगाल में उनकी यात्रा निकलने वाली थी, मुझे बताना भी जरूरी नहीं समझा गया है। मुझे प्रशासन से उसकी जानकारी मिली। उन्होंने डेरेक को बताया कि एक यात्रा निकलने वाली है।बताया जाता है कि ममता की पार्टी पहले कांग्रेस को 2 सीट दे रही थी अब कांग्रेस का रवैया देख कर उसका मन बदल गया है और उसने 42 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है ।
उधर 2024 लोकसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में इंडिया अलायंस का विस्तार हुआ था । संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर राज्य में महाविकास आघाड़ी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मुंबई में राज्य की 48 लोकसभा सीटों की शेयरिंग के हुई बैठक में वंचित बहुजन आघाडी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर भी शामिल हुए। बैठक से पहले प्रकाश आंबेडकर का फूल देकर स्वागत किया गया। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने प्रकाश आंबेडकर के एमवीए में आने पर खुशी जताई उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा की लड़ाई अब वे मिलकर लड़ेंगे।
आंबेडकर के महाविकास आघाड़ी में शामिल के होने के बाद पार्टनर दलों की संख्या मोटे तौर पर बढ़कर चार हो गई है। इनमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) की पार्टी शामिल है। तीन पार्टियों के बीच राज्य की 34 सीटों पर सीट शेयरिंग तय हो चुकी है। राज्य की 14 सीटों को लेकर दलों के बीच पेंच फंस रहा था। पिछली बैठक में यह कहा गया था कि अगली बैठक में इन सीटों शेयरिंग तय हो जाएगी। जिस सीटों पर पेंच फंस रहा है उनमें प्रमुख तौर पर वर्धा, रामटेक, भिवंडी, हिंगोली, जालना, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर मध्य, मुंबई दक्षिण मध्य और शिरडी शामिल हैं। एमवीए में वंचित बहुजन आघाड़ी की इंट्री के बाद दो से तीन सीट प्रकाश आंबेडकर की पार्टी के पास जाने की उम्मीद है।
सीट शेयरिंग के फॉर्मूला के अनुसार कांग्रेस महाराष्ट्र में 20 से 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) गुट छह से आठ सीटें मिल सकती हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना 18 सीटें मिलने की उम्मीद है। ऐसे में वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) नेता प्रकाश अंबेडकर को कांग्रेस अपने खाते से सीटें देगी, जबकि अगर अलायंस में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन की इंट्री होती है तो शिवसेना (यूबीटी) ने हातकणंगले लोकसभा छोड़ेगी, हालांकि राज्य में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड ने भी एक सीट की मांग रखी है।
यदि पिछला रिकार्ड देखा जाय तो 2019 के लोकसभा चुनावों में वंचित बहुजन आघाड़ी ने AIMIM के साथ मिलकर 47 सीटों पर लड़ा था। तब वंचित बहुजन आघाड़ी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। पार्टी को 6।82 फीसदी वोट मिले थे। प्रकाश आंबेडकर की पार्टी को 3,743,560 वोट हासिल हुए थे। औरंगाबाद सीट पर AIMIM को जीत मिली थी। प्रकाश आंबेडकर के एमवीए से जुड़ने के बाद दलित वोटों के साथ मुस्लिम वोटों का फायदा इंडिया अलायंस को मिल सकता है। 2019 में विधानसभा चुनावों में वंचित बहुजन आघाड़ी राज्य की 10 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। पार्टी को राज्य में 24 लाख वोट हासिल हुए थे। वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर अकोला से लड़े थे। वे दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। प्रकाश आंबेडकर फिर से अकोला से लड़ सकते हैं। प्रकाश आंबेडकर के एमवीए में आने से करीब आठ लोकसभा सीटों पर इंडिया अलायंस को वोटों में फायदा हो सकता है।
बताया जाता है कि 543 सदस्यीय लोकसभा में उत्तर प्रदेश (80) के बाद महाराष्ट्र दूसरे सबसे ज्यादा सांसद (48) भेजता है। VBA ने पिछला चुनाव असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के साथ गठबंधन में लड़ा था, जिसके इम्तियाज जलील ने औरंगाबाद में चार बार के शिवसेना विधायक चंद्रकांत खैरे को हराया था।2019 के लोकसभा चुनाव में वंचित बहुजन अघाड़ी को मिले वोटों ने पूर्व मुख्यमंत्रियों सुशील कुमार शिंदे और अशोक चव्हाण समेत कम से कम आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस-NCP गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया था।
परन्तु जब हाल में ही महाविकास आघाड़ी की बैठक हुई थी । इस बैठक में वंचित आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर पहली बार शामिल होने आए। महाविकास अघाड़ी की तरफ से आंबेडकर के स्वागत से लेकर बैठक की फोटो भी मीडिया को भेजी गई। प्रकाश आंबेडकर की जरुरत ऐसी कि बैठक के बाद जब प्रकाश आंबेडकर बैठक से बाहर निकले तो उन्हे छोड़ने के लिए नाना पटोले और संजय राऊत खुद होटल से बाहर आए थे ।लेकिन प्रकाश आंबेडकर ने मीडिया के कैमरों के सामने जो बोला उससे नाना और संजय राऊत खुद सकते में आ गए। शायद उन्हें भी उम्मीद नहीं थी की प्रकाश आंबेडकर ऐसा कुछ बोल जाएंगे।
प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि समाजवादी पार्टी उसकी आखिरी पार्टनर थी। अब वो भी अलग जा रही है। इस गठबंधन में आने से पहले हम फूंक फूंक कर कदम रखेंगे। पहले एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय होना चाहिए और फिर सीटों पर बात होनी चाहिए। आंबेडकर यही नहीं रुके बोले। उन्होंने कहा कि उन्हें बीजेपी की तरफ से ऑफर आया हुआ है। प्रकाश ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कोई इंडिया नहीं है। नीतीश कुमार, आप , ममता बनर्जी अलग हो गए हैं। बची समाजवादी पार्टी, उसने 16 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की। हालांकि यह माना जा रहा है कि समाजवादी इंडिया के साथ ही रहेंगे। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी का हाल मैं इंडिया जैसा नहीं होने दूंगा।
प्रकाश आंबेडकर के बयान के बाद बगल में खड़े संजय राउत ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहा कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है। और वंचित अघाड़ी के प्रमुख आज एमएवीए के मीटिंग में शामिल हुए सकारात्मक चर्चा हुई। सीट बटवारे पर चर्चा जारी है। बीजेपी को हराना ये पहला लक्ष्य है। सीट ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है।
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री वर्षा गायकवाड ने कहा कि प्रकाश आंबेडकर के साथ मीटिंग काफी सकारात्मक रही। हमें विश्वास है वह हमारे साथ ही रहेंगे। गठबंधन पर बाहर आकर उन्होंने क्या कहा मुझे जानकारी नहीं। जीशान सिद्धिकी और बाबा सिद्धिकी से मेरी बात हुई है। उन्होंने मुझे वीडियो भी भेजा और कहा कि हम कांग्रेस छोड़कर नहीं जाएंगे।इसके बाद निकले महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने भी आंबेडकर के बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि प्रकाश आंबेडकर के साथ कोई विवाद नहीं है। आज एमएवीए बैठक में सकारात्मक चर्चा हुई है। आज एमएवीए की बैठक में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने के लिये कमिटी बनाने का निर्णय हुआ। पृथ्वीराज चव्हाण कमिटी के नेतृत्व में कमेटी बनाई जाएगी। आठ दिनों में प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इस कमिटी में सभी पार्टीयों के सदस्य होंगे। एमएवीए में सीट बटवारे पर कोई विवाद नहीं है, ज्यादा विवाद तो सत्तापक्ष में है। एनसीपी से जितेंद्र आह्वाद सामने आये। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ 3 ही मीटिंग हुई है। एक दो मीटिंग में सीट नहीं तय होती है। साथ में चाय नाश्ता करने दो, समय दो, जल्दी सब ठीक हो जाएगा। प्रकाश आंबेडकर पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। बाबा सिद्दीकी अगर कांग्रेस छोड़ रहे है तो जाने दो।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के बीच अंबेडकर की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गठबंधन में शामिल करने के इच्छुक थे, जबकि कांग्रेस और NCP प्रमुख शरद पवार इसके खिलाफ थे। शिवसेना और NCP में फूट ने इन दोनों ही पार्टियों को वंचित बहुजन अघाड़ी को साथ लाने का फैसला करना पड़ा।
अशोक भाटिया