शाश्वत तिवारी
न्यूयॉर्क।स्मार्ट हलचल|संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने यहां एक पैनल चर्चा के दौरान डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के निर्माण में भारत के अनुभव और दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत का रुख स्पष्ट किया।
हरीश ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर उच्च-स्तरीय समिति के 22वें सत्र के दौरान ‘सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा को गति देना: परिवर्तन के लिए एक चालक के रूप में दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ शीर्षक से आयोजित पैनल चर्चा में भाग लिया।
यूएन में भारत के स्थायी मिशन ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर हरीश के संबोधन से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए बताया समावेशी विकास का समर्थन करने वाले स्केलेबल, इंटरऑपरेबल और लचीले डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारत का अनुभव साझा किया। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में इसकी प्रभावशीलता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए डीपीआई में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एकीकरण पर बल दिया।
भारतीय राजदूत ने अपने संबोधन में कहा दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता, भागीदार देशों के साथ अपनी डीपीआई विशेषज्ञता और मॉडल को साझा करने की इसकी तत्परता में दिखाई पड़ती है। भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास भागीदारी कोष का वैश्विक दक्षिण के देशों में डीपीआई-केंद्रित परियोजनाओं पर बढ़ता ध्यान, विकासशील दुनिया भर में परिवर्तनकारी डिजिटल समाधानों के लिए भारत के समर्थन को रेखांकित करता है।
इस सत्र में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन और प्रशांत क्षेत्र सहित वैश्विक दक्षिण से 70 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने हिस्सा लिया। इस दौरान एकजुटता, नवाचार और साझा नेतृत्व के माध्यम से अधिक समावेशी और टिकाऊ भविष्य को आकार देने के लिए विकासशील देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। डिबेट का केंद्र 2030 सतत विकास एजेंडा को गति देने में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता सहित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका पर रहा।