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भारतीय संस्कृति व वैभवशाली ज्ञान की पुनर्स्थापना के लिए स्थापित किया जाएगा विक्रमशिला विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान


भारतीय संस्कृति व वैभवशाली ज्ञान की पुनर्स्थापना के लिए स्थापित किया जाएगा विक्रमशिला विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान

उदयपुर, 11 जून। स्मार्ट हलचल/श्री आनंदम धाम पीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर परम पूज्य सदगुरु श्री रितेश्वर जी महाराज की प्रेरणा, निर्देशन और मार्गदर्शन में प्राचीन भारतीय संस्कृति और हमारे वैभवशाली ज्ञान की पुनर्स्थापना के लिए विक्रमशिला विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। उत्तरी भारत में स्थापित किये जाने जाने वाले इस अद्वितीय विश्वविद्यालय को यथाशीघ्र स्थापित करने के लिए शैक्षणिक एवं प्रशासनिक विशेषज्ञों की कार्यकारिणी गठित की गई है ।

प्रस्तावित विश्वविद्यालय की रूपरेखा पर गहन मंथन करने के लिए मंगलवार को उदयपुर में बौद्धिक कार्यक्रम एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए शैक्षणिक एवं अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया।

सदगुरु श्री रितेश्वर जी महाराज की प्रेरणा से स्थापित किए जाने वाले विक्रमशिला विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय समृद्ध ज्ञान, विद्या और संस्कृति पर अध्ययन की व्यवस्था के साथ ही शोध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। विश्वविद्यालय में भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के उद्देश्य से विभिन्न राष्ट्रों की संस्कृति और ज्ञान पर शोध करके भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपराओं के साथ इनका संकलन कर सामूहिक अध्ययन और शोध की व्यवस्था की जाएगी। इस सामूहिक शोध से वसुधैव कुटुंबकम के अनुरूप भारत विश्व का नेतृत्व करते हुए पुनः विश्वगुरु का स्थान अर्जित करेगा।

विख्यात शिक्षाविद डॉ मनोज बाजपेयी की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में पूर्व अतिरिक्त सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक डॉ गोविंद पारीक, सदगुरु श्री रितेश्वर जी के निजसचिव श्री स्वप्निल कुलश्रेष्ठ, पूर्व कुलपति डॉ आई वी त्रिवेदी, किंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष गगन सिंह राव , सीसीएल संयोजक श्री पवन जांगिड़, पूर्व प्राचार्य डॉ रचना तैलंग, यूएनएसीसीसी के डॉ रजत शर्मा , शेफ विमल धर , म्यूजिक डायरेक्टर एकार्थ पुरोहित , किंग सेना के घनेन्द् सिंह , सामाजिक कार्यकर्ता रवि सोनी एवं श्री दिनेश जड़ौला सहित अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया।

प्रो वाजपेयी ने बताया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय गुरुकुल पद्धति का एक अद्वितीय शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केन्द्र बनेगा जहां विश्व के समक्ष विद्यमान वर्तमान चुनौतियों का हल करने के साथ ही भावी पीढ़ी को विशिष्ट ज्ञान उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। विश्वविद्यालय में व्यक्तिगत विकास, आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक अनुप्रयोग के अवसरों के साथ विविध शैक्षिक कार्यक्रमों को जोड़कर परिवर्तनकारी शैक्षिक अनुभव प्रदान किए जाएंगे। इस विश्वविद्यालय में शैक्षिक उत्कृष्टता के साथ ही अनुसंधान और नवाचार, सामुदायिक जुड़ाव, समावेशी शैक्षिक वातावरण व विविधतापूर्ण शैक्षणिक गतिविधियों को अवसर प्रदान किया जाएगा।

विश्वविद्यालय में एकीकृत दृष्टिकोण से अंतर्विषयक शिक्षा के अवसर सुलभ कराने के साथ ही वैश्विक शैक्षिक अनुभव के अवसर भी सुलभ कराए जाएंगे। सामुदायिक एकीकरण व उन्नत शैक्षणिक गतिविधियों के साथ सहभागिता बढ़ाने के लिए अनुभवात्मक शिक्षण विधियां नियोजित की जाएगी। उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए नवाचारों को प्रेरित किया जाएगा।

प्रस्तावित विश्वविद्यालय में आश्रम व्यवस्था के अनुरूप विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए समुचित आवासीय व्यवस्था से अनुभवात्मक शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया जाएगा। ध्यान और योग के साथ ही आत्मचिंतन और आंतरिक विकास के लिए आत्मनिरीक्षण पद्धतियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। विश्वविद्यालय परिसर में जैविक खेती की प्रथाओं को लागू किया जायेगा। साथ ही नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर पर्यावरण को प्रदूषित रहित बनाने का भी ध्यान रखा जाएगा। विश्वविद्यालय में स्थापित किए जाने वाले मंदिर और ध्यान केंद्र में आध्यात्मिक अभ्यास की सुविधा सुलभ होंगी। सांस्कृतिक केंद्र में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों एवं पारंपरिक कलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा।

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