कथा हमारी संस्कृति और संस्कारों की परिचायक है।…Indian Culture and Traditions
The story is a reflection of culture and traditions
संस्कृति व संस्कारों के बिना मानव जीवन का कोई लाभ नहीं है।-महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज
भागवत कथा के दौरान महिलाओं ने भगवान के भजनों पर भाव विभोर होकर नृत्य किया
काछोला|स्मार्ट हलचल/अपने जीवन की सफलता और उद्धार के लिए मनुष्य को निरंतर प्रभु का स्मरण करना चाहिए। सकारात्मक सोच हर प्रकार की समस्याओं को हल करती है। जबकि नकारात्मकता केवल नुकसान ही करती है। अतः हमें सकारात्मक सोच के साथ ही जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह विचार अमरज्ञान – निरंजनी आश्रम के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज ने श्री देवनारायण मंदिर देवतलाई जसूजी का खेड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव के दौरान धर्म सभा में कही। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की कठिनाइयों व समस्याओं के समाधान सुझाए गए हैं। कथा हमारी संस्कृति और संस्कारों की परिचायक है। संस्कृति व संस्कारों के बिना मानव जीवन का कोई लाभ नहीं है। इसलिए हमें बच्चों को भी सुसंस्कारित बनाना चाहिए। आधुनिकता के इस दौर में संस्कारों की ओर ध्यान कम दिया जा रहा है, जोकि उचित नहीं है। किसी भी अवस्था में हमें संस्कार व संस्कृति नहीं छोड़नी चाहिए। भारत आध्यात्मिक देश है, जिसमें अनेकों संत व सिद्ध पुरुष हुए हैं। सभी ने संस्कृति और संस्कारों से विश्व कल्याण हेतु बखान किया ।
ईस दौरान संगीतमय भक्ति रस के दौरान श्रद्धालु भगवान के भजनों पर भावविभोर होकर नृत्य किया ।भगवान देवनारायण व श्री चारभुजा नाथ के जयकारे लगाए। वही धर्म सभा में प्रताप सिंह , राम सिंह,बबलू शक्तावत ने श्रीफल भेंटकर महामंडलेश्वर जगदीश पुरी महाराज का स्वागत अभिनंदन किया एवं पुष्प वर्षा से स्वागत किया। इस अवसर पर दिलीप सिंह ,बहादुर सिंह ,किशन सिंह ,नरपत सिंह ,उदय सिंह,देवी सिंह सहित बड़ी तादात में गांव के विभिन्न सर्व समाज के लोग उपस्थित थे ।