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राशमी ग्राम पंचायत की उदासीनता के चलते गन्दगी ओर कचरे के ढेर पर प्राण त्याग रही गौमाता, गौसेवकों में भारी रोष, जिम्मेदार बैठे आंखे मूंदे

ओम जैन

शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल/राशमी पंचायत समिति मुख्यालय के साथ ही ग्राम पंचायत मुख्यालय राशमी मे स्वच्छता की पोल खुल रही है, वही ग्राम पंचायत प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को भी धत्ता बता रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि यहाँ जगह जगह गंदगी के ढेर लगे है, कचरा भी खुले में डाला जाता है, जिसे गोवंश खाकर कई गोवंश ने अपने प्राण त्याग दिए जिसको लेकर हमने यहाँ बीडियो से लेकर तहसीलदार, विधानसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ओर शासन, प्रसासन के अधिकारियों सहित राशमी पंचायत एवं पंचायत समिति मुख्यालय पर बेठते वाले सभी जनप्रतिनिधियों एव अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया लेकिन सभी कानों में रुई डाले बैठे है, लम्बे समय बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
ना क्षेत्रीय नेताओ ना अधिकारियों किसी के भी द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा जिससे राशमी पंचायत मुख्यालय के साथ बनास नदी में कचरा डाला जा रहा है जबकि सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत लाखों रुपए खर्च किए जा रहे है, लेकिन यहाँ स्वच्छ भारत मिशन अभियान को बिल्कुल भी गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। जबकि स्वच्छता के नाम पर आ रही राशि का पता नहीं वह कहां काम आ रही है। जगह जगह कचरा होने से अभी तक दर्जनों गोवंश ने अपने प्राण त्याग दिए है, शनिवार को भी एक गोवंश ने प्राण त्याग दिए जिससे क्षेत्र के गोवंशों ओर हिन्दू संघठनों में खासा रोष है।
वही ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ग्राम पंचायत राशमी में पिछले 6 माह से नालियों की सफाई नहीं हुई। चारों तरफ गंदगी फैली हुई गौवंश इस प्लास्टिक को खाने से बीमार पड़ रही है, ओर फिर मृत्यु हो रही है, लेकिन सभी जिम्मेदार जानकर भी अनजान बने बैठे है।

फूड प्वाइजनिंग की समस्या सबसे ज्यादा होती है:

पशु चिकित्सकों ने बताया कि मवेशियों में फूड प्वाइजनिंग की समस्या सबसे ज्यादा उत्पन्न होती है। इससे मवेशी कमजोर हो जाते है। अगर समय रहते इलाज नहीं कराया जाए तो वह मर ही जाते है। सबसे ज्यादा नुकसान मवेशियों को कचरे के साथ प्लास्टिक बैग के खाने से होता है। यह प्लास्टिक बैग पेट के आत में फंस जाता है। इससे मवेशी धीरे-धीरे और रोग का शिकार हो जाते है। उनका खाना पीना कम होने लगता है।

कैंसर जैसे रोगों को भी मिल रहा है बढ़ावाः

वर्ष 2018 में किए गए सर्वे में पाया गया कि गाय-भैंस के दूध, गोबर और मूत्र में प्लास्टिक के कण पाए जा रहे है। जो इंसान के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही गोवंश में कैंसर को भी बढ़ावा दे रहा है। सर्वे में पॉलीथीन से कैंसर होना पाया गया है। ऐसी गायों द्वारा उत्पादित दूध के माध्यम से प्लास्टिक की विषाक्त सामग्री भी मनुष्य में प्रवेश कर सकती है। पॉलीथिन बैग में अन्य घर के कचरे के साथ विदेशी धातु जैसे, ब्लेड, सुइयों, तारों, नाखूनों आदि को भी फेका जाता है।

कचरे के ढेर से बीमारियां फैलने का डर, वातावरण के साथ ही नदी में जलप्रदूषण:

ग्राम पंचायत राशमी द्वारा बनास नदी में डाला जा रहे कचरे से इन कूड़ों के ढेरों के पास से निकलते हैं तो वे भी प्रदूषित हवा का शिकार हो जाते हैं। जिन लोगों को दमे की बीमारी है उनके लिए सड़कों के किनारों पर पड़ी मिट्टी व कूड़ा उनकी सांस की बीमारी में बढ़ोतरी कर रहा है। सड़कों के किनारे पड़े कूड़ों के कारण लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

बनास नदी को बनाया जा रहा कचरा संग्रहण केन्द्र जिससे होगा जलप्रदूषण जो बहाव के साथ पहुचता बीसलपुर बाध में

मेवाड़ की पवित्र नदी एव मेवाड़ की गंगा कही जाने वाली बनास नदी में राशमी ग्राम पंचायत द्वारा कचरा संग्रह कर बनास नदी में डाला जा रहा है जिससे नदी क्षेत्र को प्रदूषित किया जा रहा है, यह पानी भीलवाड़ा के साथ ही, जयपुर, अजमेर, टोक जिले में पेयजल उपलब्ध करवाता है, जब यह कचरा नदी के बहाव के साथ ही बीसलपुर बाध में जाता है जो जल को प्रदूषित करता है।

साशन प्रशासन जानते हुए भी अनजान बनकर बैठा:

राशमी विधानसभा क्षेत्र होने के साथ ही तहसील, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति कार्यालय होने के बाद भी ग्राम पंचायत में हर जगह गन्दगी देखकर भी शासन, प्रशासन मौन क्यों है यह एक राशमी ग्राम पंचायत में सोचनीय विषय है।

ग्रामीणों ने सुनवाई नही होने पर कलेक्ट्रेट पर धरना की दी चेतावनी

कैलाश माली, रतन लाल रेगर सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम पंचायत समय समय पर सफाई अभियान चलाएं साथ ही नालियों की मरम्मत करें, और ग्राम पंचायत के कचरे को कचरा संग्रहण केन्द्र बना कर तारबंदी कर उसमें कचरा इकठ्ठा करें जिससे गोवंश इस प्लास्टिक को खा नहीं सके एवं साथ ही लावारिस पशु को ग्राम पंचायत के काइन हाउस में ले जा कर बाद में गौशाला में पहुचाने का कार्य करें यह कार्य नहीं होने पर ग्रामीणों द्वारा कलेक्ट्रेट पहुंच धरना प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा एवं ग्राम पंचायत पर भी धरना प्रदर्शन किया जाएगा, जिसका जिम्मेदार पंचायत और प्रसासन होगा।

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