कस्बे में बाग वाले बालाजी में श्रीराम सत्संग भवन में चातुर्मास के दौरान हो रही है धर्मसभा
काछोला 23 जुलाई-स्मार्ट हलचल|मनुष्य के जीवन में एक गुरु का होना बहुत जरूरी है, जो अपने ज्ञान के माध्यम से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश कर दे। कहावत है कि – गुरु करो जानकर और पानी पियो छानकर, इसलिए ध्यान रहे कि गुरु बनाते समय सोच, समझ तथा जानकर ही एक ही गुरु बनाना चाहिए। सद् गुरु ही हमें तार सकते हैं।
यह बात आचार्य ज्ञानानन्द जी महाराज ने कस्बे में बाग के बालाजी में श्रीराम सत्संग भवन पर आयोजित चातुर्मास के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही उन्होंने कहा कि गुरु आधा अधूरा नहीं होना चाहिए। जो स्वयं का भी सुधार नहीं कर सकता है, वह अपने शिष्य को कैसे तारेगा? इसलिए तौल परख कर ही सच्चा गुरु बनाए और सद् गुरु ही हमारा कल्याण कर सकते हैं।
आचार्य ज्ञानानन्द जी ने बताया कि श्रापित राजा परीक्षित ने राजपाठ त्याग कर गुरुदेव शुकदेव जी की शरण ली और पूछा कि व्यक्ति को अपने अंतकाल (मृत्यु काल) में क्या करना चाहिए, तब उन्होंने कहा कि भगवान से यही प्रार्थना की जाए कि हरि के दर्शन हो जाए और दर्शन से ही उद्धार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संसार में दो विषय है। एक विषय आनंद तो दूसरा ब्रह्मानंद है, लेकिन लोगों की रुचि विषय भोग में अत्यधिक है और वह मोह-माया में बुरी तरह जकड़ा हुआ है, जो क्षणिक भी है। यदि इतना ही लगाव प्रभु की पूजा भक्ति के प्रति रखा होता तो सांसारिक जंजाल से छुटकारा हो गया होता। उन्होंने कहा कि मंदिर, गुरुदेव और बहन-बेटी के यहां खाली हाथ कभी नहीं जाना चाहिए। अपनी श्रद्धानुसार कुछ न कुछ लेकर अवश्य जाए। शास्त्र में तो भगवान शिवजी को घर का पानी चढ़ाने मात्र से पितृदोष दूर होना बताया गया है। उन्होंने नियमित पूजा-पाठ और व्यक्ति की दिनचर्या पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। कथा के दौरान बीच-बीच में भजनों की सुंदर प्रस्तुति पर महिलाओं-बालिकाओं ने भावविभोर होकर नृत्य किया। कथा में प्रतिदिन अलग-अलग यजमानों द्वारा पोथी पूजन, आरती कर कथावाचक का स्वागत-सम्मान किया जा रहा है।