रामनिवास धाम में हुआ प्रवचन एवं अभिनंदन समारोह
शाहपुरा, मूलचन्द पेसवानी
रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरु आचार्यश्री स्वामी रामदयाल महाराज रविवार को अपने चार्तुमास प्रवास की पूर्णाहुति के बाद शाहपुरा पहुंचे। ऐतिहासिक ‘भक्ति सौरभ चार्तुमास’ का समापन गढ़बोर चारभुजा में संपन्न होने के उपरांत स्वामीजी का यह शाहपुरा आगमन भक्तों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय रहा। शाहपुरा स्थित रामस्नेही संप्रदाय की मुख्यपीठ रामनिवास धाम में परंपरा अनुसार आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया गया।
प्रातःकाल से ही रामस्नेही अनुयायी और संतगण रामनिवास धाम परिसर में उनके आगमन की प्रतीक्षा में एकत्र हुए। जैसे ही आचार्यश्री शाहपुरा पहुंचे, भंडारी संत नवनिध राम महाराज के नेतृत्व में संत मंडल ने पारंपरिक ढंग से उनकी अगवानी की। ढोल-नगाड़ों, शंखनाद और जयघोषों के बीच आचार्यश्री ने परंपरा के अनुसार दंडवत करते हुए रामनिवास धाम में प्रवेश किया।
धाम परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सैकड़ों अनुयायियों ने फूल-मालाओं से स्वामीजी का स्वागत किया। धाम में आचार्यश्री के प्रवेश के साथ ही पूरा वातावरण ‘जय गुरुदेव’, ‘रामस्नेही महाराज की जय’ जैसे गगनभेदी नारों से गुंजायमान हो उठा। रामनिवास धाम की ऐतिहासिक बारादरी में प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आचार्यश्री ने भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किए और कहा कि “गढ़बोर चारभुजा में संपन्न भक्ति सौरभ चार्तुमास संप्रदाय के इतिहास में एक अमिट अध्याय बन गया है। इस चार्तुमास के दौरान भक्तों ने जिस निष्ठा और अनुशासन का परिचय दिया, वह अनुकरणीय है। जब समाज में प्रेम, संयम और सेवा की भावना प्रबल होती है, तब धर्म का सच्चा अर्थ प्रकट होता है।” उन्होंने आगे कहा कि शाहपुरा स्थित रामनिवास धाम संप्रदाय की मूल पीठ है, जहां से सदियों से संत परंपरा प्रवाहित हो रही है। यह धाम केवल भक्ति का केंद्र नहीं बल्कि समाज सुधार, मानवता और सेवा का संदेश देने वाला आध्यात्मिक स्थल है। आचार्यश्री ने कहा कि चार्तुमास का सार यही है कि व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, करुणा और दया के भावों को आत्मसात करे। प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने वर्तमान समय की चुनौतियों पर भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का मनुष्य भौतिक सुखों की खोज में आत्मिक शांति से दूर हो गया है। धर्म का उद्देश्य केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और प्रेम का प्रसार है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहें तथा अपने जीवन में संतों के आदर्शों को अपनाएं। कार्यक्रम में अखिल भारत वर्षीय माहेश्वरी महासभा की ओर से आचार्यश्री का विशेष अभिनंदन किया गया। महासभा के प्रतिनिधियों ने पुष्पहार, शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वामीजी का स्वागत किया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक, संतगण, महिला मंडल, समाजसेवी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस दौरान समाजसेवी श्याम ईनाणी की ओर से ईनाणी चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से रामनिवास धाम में बन रही भोजनशाला के ऊपर के निर्माण कार्य हेतु 11 लाख रुपये की सहयोग राशि देने की घोषणा की गई। इस घोषणा की जानकारी संत जगवल्लभ राम महाराज ने दी। उन्होंने कहा कि शाहपुरा की धर्मनिष्ठ जनता और सेवाभावी परिवारों की बदौलत रामनिवास धाम आज भी जनसेवा का आदर्श उदाहरण बना हुआ है।
प्रवचन सभा के अंत में सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान भक्तों ने पुष्प वर्षा कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। स्वामीजी ने सभी को धर्म, सेवा और सदाचार के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
इस मौके पर चार्तुमास समिति के अलावा शाहपुरा से सुर्यप्रकाश बिड़ला, कैलाश तोषनीवाल, नारायण सिंह, राकेश सोमाणी सहित कई रामस्नेही अनुरागी व संतगण मौजूद रहे।


