भीलवाड़ा। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी का हाल यह है कि वहां किसी बीमारी के इलाज और समाधान के लिए जाए तो वहां कई तरह की समस्याएं तैयार मिलती है । मरीजों को वहां अतिनिंदनीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है । जन अधिकार मंच भीलवाड़ा के जिला प्रवक्ता कवि दिलखुश राव सुरास ने बताया कि वह अपनी नानी सास प्रेम बाई को किसी बीमारी के इलाज के लिए महात्मा गांधी जिला अस्पताल लेकर गए थे । मरीज की हालत इतनी नाजुक थी कि उनका जरा सा दूर चल पाना भी दुश्वार हो रहा था । गेट पर व्हीलचेयर और स्ट्रेचर उपलब्ध होने के बावजूद मरीज को अस्पताल ले जाने वाले दिलखुश राव ने जब वहां मौजूद कर्मचारियों से व्हीलचेयर पर ले जाने की बात कही तो उन्हें इधर से उधर और उधर से इधर घुमाते रहे और कर्मचारियों ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया जिस पर दिलखुश ने बहस करना अनुचित समझते हुए और इलाज को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से खुद ने स्ट्रेचर पकड़ लिया और स्ट्रेचर ले जाने लगे तो वहां की महिला कर्मचारी ने यह कहते हुए रोक लिया कि मरीज को उस गेट से इस गेट पर लाने पर ही वो स्ट्रेचर द्वारा आगे ले जाएंगी । इस मामले से परेशान दिलखुश ने राजस्थान संपर्क पोर्टल एवं इमरजेंसी संपर्क नंबरों पर यह शिकायत दर्ज करवाई फिर मरीज को अपने कंधों पर उठाकर अंदर ले गए । दिलखुश ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बन बैठेंगे तो हाल क्या हो सकते है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है और इन्हीं कारणों से परेशान व्यक्ति बाद मे गलत कदम उठाने पर मजबूर हो जाते है ।