13 से समाजसेवी गंगवाल की आमरण अनशन की चेतावनी,
प्रशासन की अनदेखी से आक्रोशित ग्रामीण बोले – अब नहीं झुकेंगे,
अब संघर्ष होगा निर्णायक,
नावां सिटी :- स्मार्ट हलचल|उपखंड मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम मारोठ में पेयजल संकट को लेकर शुरू हुआ जनआंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है। पानी की समस्याओं को लेकर ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। स्थानीय प्रशासन की बेरुखी और उदासीनता के खिलाफ सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर आंदोलन को और अधिक सशक्त बना दिया है।
धरने को जैन समाज ने दिया पूर्ण समर्थन :
शनिवार को मारोठ जैन समाज के बड़ी संख्या में महिलाओं पुरुषों सहित सैकड़ों समाजबंधुओं ने पानी की समस्या को लेकर चल रहे धरने को जायज ठहराते हुए धरनास्थल पर पहुंचकर अपना पूर्ण समर्थन जताया। ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से पानी की समस्या बनी हुई है और बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हालात ये हैं कि गांव में जल संरक्षण के सभी स्रोत – तालाब, नाड़ी, तलाई, बांध, कुएं, ट्यूबवेल, बावड़ियां – उपेक्षा का शिकार हैं।
मनोज गंगवाल का ऐलान:
13 सितंबर से आमरण अनशन
समाजसेवी मनोज गंगवाल ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 12 सितंबर तक ग्रामीणों की सातों मांगें नहीं मानी जाती, तो 13 सितंबर से आमजन के सहयोग के साथ आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ पानी के लिए नहीं, बल्कि “हर घर जल” और “जल संरक्षण” जैसी सरकारी योजनाओं को धरातल पर लागू करवाने के लिए संघर्ष है।
ग्रामीणों का आरोप :
प्रशासन की लापरवाही से व्यर्थ बह रहा पानी
ग्रामीणों का कहना है कि बारिश से पहले ही बांध में लीकेज की शिकायत की गई थी, लेकिन अधिकारियों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर समय गंवा दिया। नतीजा यह हुआ कि पिछले दो महीनों से कीमती पानी व्यर्थ बह रहा है, और गांव सूखे की कगार पर आ पहुंचा है।
धरनास्थल बना जनजागरण का केंद्र :
मुख्य बाजार स्थित गोपीनाथ जी मंदिर के सामने चल रहे धरना स्थल पर रात में भजन संध्या का आयोजन कर प्रशासन और सरकार को “सद्बुद्धि” देने की प्रार्थना की गई। इस आयोजन में युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक की भागीदारी देखने को मिली।
प्रशासक सारिका बाबेल का समर्थन :
मारोठ की प्रशासक सारिका बाबेल ने भी ग्रामीणों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा,
मारोठ की समस्याओं को लेकर पिछले 5 वर्षों से प्रशासन को लगातार अवगत कराया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। अब गांव जागा है, तो सफलता निश्चित है। मैं इस आंदोलन का पूर्ण समर्थन करती हूं।”
आंदोलन का कारण और मुख्य मांगें:
ग्रामीणों ने बताया कि हमारी प्रमुख मांगे जल संरक्षण व हर घर जल योजना के क्रियान्वयन हो,
गांव के जल स्रोतों की मरम्मत व रखरखाव हो,
बहते पानी को रोकने के लिए त्वरित कदम उठाएं,
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो,
वर्षों से लंबित जल योजना का क्रियान्वयन शीघ्र अति शीघ्र हो,
वैकल्पिक जल स्रोतों की व्यवस्था हो,
ग्राम स्तर पर जल प्रबंधन समिति का शीघ्र गठन हो,
ग्रामीणों का ऐलान:
अब आर-पार की लड़ाई
ग्रामीणों ने दो टूक कहा है कि अब अगर पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। प्रशासन की उदासीनता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह सिर्फ पानी के लिए नहीं, बल्कि गांव के भविष्य की लड़ाई है।