Homeभीलवाड़ाजैन दीक्षा विरले श्रावक- श्राविका ही अंगीकार कर पाते है:साध्वी डॉ.संयम लता

जैन दीक्षा विरले श्रावक- श्राविका ही अंगीकार कर पाते है:साध्वी डॉ.संयम लता

साध्वी डॉ.कमल प्रज्ञा का 17 वा दीक्षा महोत्सव तप त्याग के साथ मनाया

रोहित सोनी

आसींद । आसींद,जैन दीक्षा अंगीकार करना आसान काम नहीं है, जिसकी सात पीढ़ी की पुण्यवानी होती है उसी घर से दीक्षा ले पाते है। जैन साधु संत दीक्षा लेने के बाद पैदल विहार करते है, बिना चप्पल के चलना, सुबह सूर्योदय के 48 मिनिट बाद अन्न जल ग्रहण करना, रात्रि को भोजन नहीं करना यहां तक कि पानी भी नहीं पीना, जमीकंद का त्याग करना, अभक्ष्य पदार्थों का त्याग करना, घर घर जाकर भिक्षा लाना, दोनो समय प्रतिक्रमण करना, स्वाध्याय करना आदि कार्य करने होते है। जैन शास्त्रों के अनुसार जंबू स्वामी ने एक प्रवचन सुना और वैराग्य का भाव पैदा हो गया और दीक्षा अंगीकार कर ली। सर्दी, तपती धूप, आदि में उग्र विहार करना , तप त्याग करना साधु संतों के लिए बड़ा मुश्किल कार्य होता है लेकिन जैन साधु इसको सामान्य प्रक्रिया मानते हुए सहज में कर लेते है। उक्त विचार महासती डॉ.संयम लता ने आसींद कस्बे के महावीर भवन में साध्वी डॉ. कमल प्रज्ञा के 17 वे दीक्षा महोत्सव पर आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए।

महासती ने कहा कि जो विरले होते है वहीं दीक्षा अंगीकार करते है। साध्वी डॉ.कमल प्रज्ञा ने 19 जनवरी 2008 को भौतिकता की चका चौंध को छोड़कर आध्यात्मिक की और अग्रसर होते हुए महासती डॉ संयम लता के सानिध्य में दीक्षा अंगीकार की। आपकी छोटी बहिन साध्वी सौरभ प्रज्ञा ने भी 6 साल पश्चात इन्हीं गुरुनी मैया के पास दीक्षा ले ली। अभी दोनों बहिनें साथ ही है। इस अवसर पर पेसठिया यंत्र का सामूहिक जाप करवाया गया जिसमें सेकेंडों श्रावक श्राविकाओ ने भाग लिया। साध्वी डॉ कमल प्रज्ञा ने धर्मसभा में कहा कि महासती के आशीर्वाद से ही में आज इस मुकाम तक पहुंची हु। महासती ने मुझे आध्यात्मिक के मार्ग पर लाकर मेरा जीवन सफल कर दिया है। साध्वी डॉ.अमित प्रज्ञा, साध्वी सौरभ प्रज्ञा ने भी साध्वी डॉ.कमल प्रज्ञा के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कन्या मंडल, महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। युवा मंडल अध्यक्ष आशीष रांका, जावरा से पधारे वरिष्ठ श्रावक अभय सुराणा आदि ने संबोधित किया। साध्वी के सांसारिक माता पिता का संघ द्वारा माला और शाल से स्वागत किया गया। समारोह में उदयपुर, चितौड़, भिवंडी, पनवेल, बदनोर,बारडोली, पड़ासोली, करेडा, दौलतगढ़ सहित आस पास के क्षेत्रों के भक्तगण उपस्थित थे। संघ द्वारा नव निर्वाचित जैन कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष आनंद चपलोत का अभिनंदन पत्र भेंटकर सम्मान किया गया। दीक्षा महोत्सव पर उदयपुर, आसींद संघ द्वारा साध्वी को शाला ओढ़ाई गई। संघ अध्यक्ष भंवर लाल कांठेड़, मंत्री अशोक कुमार श्रीमाल द्वारा आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया गया। सोमवार को प्रातः9.15 बजे संघ के वरिष्ठ श्रावक गणेश लाल मेहता के निवास पर महासती मंडल द्वारा अनुष्ठान करवाया। जायेगा।

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