सांवर मल शर्मा
आसींद । जयनगर ग्राम पंचायत गठन की माँग को लेकर शुक्रवार को एक ऐतिहासिक बाइक रैली निकाली गई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में बाइक सवारों ने भाग लिया। रैली में गूंजते नारे “ होश में आओ प्रशासन , होश में आओ ,जयनगर को पंचायत बनाओ!“ आज जयनगर पूरे क्षेत्र में जनजागृति और एकता का प्रतीक बन गए।
आस पास के हर गांव से जन समर्थन उमड़ रहा है। यह रैली केवल पुरुषों की नहीं थी, बल्कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने इसे खास बना दिया। महिलाओं ने मंच से खुलकर अपने विचार रखे और कहा कि “अब हमें चुप नहीं बैठना, हमें हमारा हक चाहिए!“ गांव की गलियों से होते हुए यह रैली जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक एक स्पष्ट संदेश लेकर पहुँची। रैली में गांव वालों के कहा है कि नियमों की अनदेखी और संवैधानिक उल्लंघन किया गया है। जयनगरवासियों का कहना है कि जब उन्होंने पंचायत गठन हेतु प्रस्ताव भेजा था, तो उसमें पास के जीवार गांव को भी शामिल किया गया था। लेकिन प्रशासन ने उस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर जीवार को जबरन जगपुरा पंचायत में बनाए रखा, जबकि आज जीवार को जगपुरा से हटा कर जयनगर को पंचायत बनाया जाता है तो भी जगपुरा में पंचायत बनी रह सकती है। जीवार के निवासी भी खुलेआम जयनगर को पंचायत बनाने के पक्ष में आ चुके हैं। जीवारवासियों ने कहा
“हमें एक माचिस भी चाहिए होती है तो जयनगर आना पड़ता है। जयनगर को पंचायत बनाना ही सबसे उपयुक्त और व्यावहारिक विकल्प है।“ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बालापुरा, जिसकी जनसंख्या जयनगर से कम है, उसे पंचायत बना दिया गया, जबकि जयनगर, जो आसीन्द तहसील का सबसे पुराना राजस्व गांव है, उसे वंचित रखा गया। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 243B (ग्राम पंचायत का गठन) और 243C (पंचायत की रचना जनसंख्या आधारित होनी चाहिए) का खुला उल्लंघन है। आगे की रणनीति पर गांव वालो का कहना है कि आगे आंदोलन और कानूनी लड़ाई लड़ी जायेगी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार और प्रशासन ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को अंजाम तक पहुँचाया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर माननीय न्यायालय की शरण ली जाएगी। एक वरिष्ठ ग्रामीण ने कहा “जिन्होंने भी जयनगर गाँव के हक को रोका है, वे समझ लें यह केवल शुरुवात है। हमारी लड़ाई अब थमेगी नहीं, न्याय मिलने तक जारी रहेगी।“ साथ ही गांव वालो ने कहा कि राजनीतिक दबाव की बू आ रही है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि बालापुरा को पंचायत बनाए जाने के पीछे किसी प्रभावशाली नेता का दबाव है, जिससे प्रशासन ने नियमों को ताक पर रख दिया। वहीं, शम्भूगढ़ जैसे गांवों का उदाहरण देते हुए ग्रामीणों ने बताया कि वहां आज भी पंचायत केवल एक कमरे में संचालित हो रही है, और जयनगर जैसे गांव को पंचायत बनने से रोकना पूरी तरह अन्यायपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है। वही ग्रामीणों ने बताया कि बाइक रैली जयनगर से होते हुए सगस मंदिर और शंभुगढ़ होते हुए गजसिंहपुरा से बालापुरा बस स्टैंड से दूल्हेपुरा होते हुए जयनगर सगस मंदिर पहुंची जहां पंचायत बने जयनगर के नारे लगाए गए वही इस बाइक रैली में महिलाओं ने भी अपनी भागीदारी निभाई ।