मुकेश खटीक
मंगरोप।क्षेत्र के झोपड़ियां गांव स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर हालत में है।हालात इतने खराब हो चुके हैं कि मासूम नौनिहालों को भवन में बैठाना अब जोखिम से खाली नहीं है।मजबूरी में बच्चों को खुले आसमान तले और कई बार सड़क किनारे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।यह स्थिति न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई है बल्कि उनकी प्रारम्भिक शिक्षा और मानसिक विकास पर भी सवाल खड़े कर रही है।एक महीने पहले ब्लॉक पीईओ ने भवन की क्षतिग्रस्त हालत को देखकर आंगनबाड़ी केंद्र पर ताला लगाकर सिल कर दिया।ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं,छत से टपकाव होने के कारण बरसात के दिनों में भवन पूरी तरह अनुपयोगी हो जाता है वहीं छत की एक पट्टी भी टूटी हुई है।फर्श उखड़ चुका है और खिड़की-दरवाजे भी जर्जर अवस्था में हैं।अभिभावकों का कहना है कि इन हालातों में बच्चों को भवन में बैठाना जोखिम भरा है,इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मजबूरी में बच्चों को सड़क किनारे या अस्थायी स्थानों पर बिठाकर गतिविधियां संचालित कर रही हैं।गांववासियों का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्र बच्चों की पहली पाठशाला होती है।यदि शिक्षा की शुरुआत ही असुरक्षित और असुविधाजनक माहौल में होगी तो बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास प्रभावित होना तय है।ग्रामीणों ने महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग से मांग की है कि भवन की तत्काल मरम्मत करवाई जाए या नया भवन स्वीकृत कर दिया जाए,ताकि मासूमों को सुरक्षित और सुगम वातावरण मिल सके।इस संबंध में ग्राम विकास अधिकारी विनोद सोनी ने बताया कि आंगनबाड़ी भवन की छत की एक पट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ग्राम पंचायत द्वारा नए भवन का प्रस्ताव भेजा जा चुका है और स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तब तक के लिए बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए दो-तीन दिनों में गांव के सामुदायिक भवन में आंगनबाड़ी संचालन की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।गांव के लोगों का कहना है कि यदि विभाग जल्द कार्रवाई नहीं करता तो बच्चों का भविष्य अंधेरे में धकेलने जैसा होगा।इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों से अपील है कि इस गंभीर समस्या का त्वरित समाधान किया जाए।


