भीलवाड़ा। शहर के प्राचीन नाथद्वारा सराय झूलेलाल मंदिर में सोमवार को महंत टेऊंराम भगत के सानिध्य में सिंधी समाज के आराध्यदेव भगवान झूलेलाल के अर्धवार्षिक उत्सव असु चंद्र महोत्सव का आयोजन बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ किया गया। यह अवसर सैकड़ों श्रद्धालुओं के लिए आनंद और धार्मिक उल्लास का प्रतीक बन गया। सिंधी समाज के मीडिया प्रभारी मूलचंद बहरवानी ने बताया कि महोत्सव के दौरान भक्तों ने भगवान झूलेलाल की स्तुति में भजन-संगत, कीर्तन और पंजड़ों का गायन किया। भक्तों ने पुष्प वर्षा के बीच ढोल-दमाकों की थाप पर आकर्षक छेज खेलकर नृत्य किया, जिससे माहौल अत्यंत उमंगपूर्ण बन गया।
उत्सव की शुरुआत भगवान झूलेलाल की प्रतिमा के अभिषेक से हुई। प्रतिमा को नवीन वस्त्र धारण कर मुकुट पहनाया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना, माल्यार्पण और पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलन कर महाआरती की। पल्लव-अरदास के माध्यम से समाज की खुशहाली, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की गई।
महोत्सव में उपस्थित सभी सेवाधारियों और श्रद्धालुओं ने अपने घर से तैयार किए गए भोग सामग्री अर्पित की, जिसे प्रसादी के रूप में वितरित किया गया। इस आयोजन ने समुदाय के बीच भाईचारे और धार्मिक परंपराओं की गहरी छवि को भी उजागर किया।
कार्यक्रम में हेमंत भगत, रामचंद्र खोतानी, हरीश सखरानी, डिंपल, महेश खोतानी, अनिता, भगवंती भगत, कोमल चावला, हीरालाल गुरनानी, भारती, लेखराज, सुमन भगत, विद्या, चीजनदास फतनानी, ताराचंद डोडवानी, राजू ठारवानी, नानक जेठानी सहित अनेक युवा कार्यकर्ता और समाज के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे।
मूलचंद बहरवानी ने बताया कि यह महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सिंधी समाज की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकजुटता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि असु चंद्र महोत्सव समाज के युवाओं को अपनी परंपराओं से जोड़ने और सामाजिक समरसता बनाए रखने का अवसर भी प्रदान करता है।
भक्तों ने इस अवसर पर उल्लासपूर्ण नृत्य, भजन-संगत और मंदिर परिसर में सजावट का भरपूर आनंद लिया। मंदिर परिसर को फूलों और रंग-बिरंगी सजावट से सजाया गया था, जिसने महोत्सव के दृश्य को और भी मनोरम बना दिया।
समारोह के दौरान हेमंत भगत ने उपस्थित श्रद्धालुओं से अपने जीवन में सत्य, धर्म और समाज सेवा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भगवान झूलेलाल के प्रति आस्था और भक्ति से समाज में शांति, समृद्धि और भाईचारे की भावना बढ़ती है।


