ना पानी,ना सड़के और ना परिवहन सुविधाओ का सुख,चुनाव जीतने के बाद विधायक ने भी नही ली आमजन की सूद
8 माह पहले बनी खामोर राज्यास और खामोर डाबला सड़क भी टूटी,री कारपेट वो भी लीपापोती..फिर से उखड़ा
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)राजस्थान और भारत सरकार गांव गांव ढाणी ढाणी आमजनता के विकास और मूलभूत सुविधाओं के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है गांवो और ढाणीयो में गरीब और जरूरतमंद लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने और आमजन को अपने जीवन में रोजमर्रा की जरूरतों तक पहुंचने के लिए सरल और सुगम मार्ग प्रशस्त कर रही है लेकिन वही सुविधाएं विभागो और अफसरों की कुर्सी तले दम तोड़ देती है आमजन तक भ्रष्टाचार के तलवों से होकर अधमरी रूप में पहुंचती हैं और इसमें सरकारी अफसर और ठेकेदार राजनेता भी शामिल होते हैं तभी तो ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नाम पर गरीब सरकारी भेट चढ़ रहा है।क्षेत्र का खामोर गांव कहते हैं की शाहपुरा ब्लॉक में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा गांव है यहां के हाल ए दिल से सब वाकिफ है लेकिन स्वार्थ और मतलबी भावनाओ के बीच अपनी मक्खियां उड़ाने में लगे हैं ग्राम पंचायत खामोर के गोवर्धनपूरा,रामपुरा,करेशिया का खेड़ा और भीलो का खेड़ा सहित बहका खेड़ा भी जुड़े हुए हैं यहां के लोगो को समय पर पानी नही मिलता है जिससे महिलाए ओर आमजन परेशान है वही खामोर में भी अब करीब 4 दिन में पानी आती हैं वो भी करीब 20 मिनिट उससे बड़े परिवारों का गुजारा नही हो पाता है जनता बेचारी परेशान हैं 400 रुपए देकर पानी का टैंकर डलवाना पड रहा है।वही रामपुरा में 10 दिन से पानी देनी की बात ग्रामीणों द्वारा कही गई चंबल और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को शिकायत करने पर बात को घुमा फिरा कर लीपापोती कर टाल देते हैं स्पष्टीकरण नही करते जिससे जनता परेशान हैं जबकि लाखो रूपयो से निर्मित लाखो लीटर पानी स्टोरेज का पंप हाउस बना दिया गया है फिर भी विभाग के कर्मचारी जल वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित नही कर पा रहे हैं।
चारो तरफ सड़के खराब,8 माह पूर्व बनी खामोर डाबला और खामोर राज्यास सड़क फिर टूटी,रिकारपेट वो भी लीपापोती 4 दिन में फिर दरारे।
शाहपुरा ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव कहे जाने वाले खामोर पंचायत की करीब अनुमानित आबादी 15 हजार है यहां की सड़को की हालत वर्षो से खराब है विधायक कैलाश मेघवाल ने 5 वर्ष पूर्व सर्व प्रथम डाबला खामोर और खामोर घरटा की सड़के बनवाई थी।जिसके बाद 1 वर्ष पूर्व वापस बनी,डाबला सड़क को 1 वर्ष पूर्ण भी नही हुआ की सरकारी लिज धारकों के गिट्टी क्रेशर संचालकों के ओवरलोड वाहनों द्वारा सड़के अत्यधिक वजन के कारण जमीन में धस गई वापस ठेकेदार द्वार मरम्मत कर री कारपेट करने के 4 दिन बाद फिर टूट गई सड़के जिस पर पीडब्ल्यूडी,परिवान और शाहपुरा प्रशासन मूक दर्शक बने बैठे हैं कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। खामोर से राज्यास 6 किलोमीटर सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत किया जा रहा है जिसमे 4 करोड़ से अधिक राशि से सड़क निर्माण करवाया गया था 8 माह में सड़क पर रिकारपेट करने की स्थिति आ गई और री कारपेट के 4 दिन बाद फिर से ओवरलोड वाहनों से सड़क टूट गई।सरकारी संपत्ति को भरपूर क्षति पहुंचाई जा रही है और सरकारी नुमाइंदे आंख मूंद कर बैठे हैं।
अमरतिया सड़क अभी तक प्रस्ताव में अटकी पड़ी,8 साल से सड़क निर्माण की राह देख रही जनता।
क्षेत्र के हिंदुस्तान जिंक आगूंचा माइंस और गुलाबपुरा, विजयनगर को जोड़ने वाली खामोर अमरतिया बालापुरा से खजड़ी चौराहे तक बड़े बड़े खड्डे है किसान और आमजनता परेशान है लेकिन 8 वर्ष से पीडब्ल्यूडी और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जान कर भी मुकदर्शक बन बैठे हैं चुनाव में जनता से जूठे वादा कर वोट मागने वाले नेता आज तक आमजनता की सूद लेने नही पहुंचे।जानकारी के अनुसर खामोर अमरतिया शाहपुरा जिला क्षेत्र में 2 किलोमीटर क्षेत्र आता है कृषि उपज मंडी के सड़क निर्माण के बाद 8 साल से शाहपुरा पीडब्ल्यूडी ने इस सड़क के नाम चवन्नी भी नही लगाई दो माह पूर्व दैनिक भास्कर की खबर के बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों द्वारा सड़क डामरीकरण प्रस्ताव का प्रस्ताव भेजा गया लेकिन अभी तक प्रस्ताव अधरझुल में लटका हुआ है जनता परेशान है डेली रोजमर्रा की लाइफ में जिंक जाने वाले सैकड़ों कर्मचारी इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं लेकिन जनप्रतिनिधि और सरकारी प्रशासनिक नुमाइंदे इस और ध्यान नही दे रहे।पूरे रास्ते बड़े बड़े खड्डे,वाहनों के निकलते समय धूलभरी आंधी जैसे हालात हो जाते है राहगीरों के आंखो और शरीर पर धूल हो जाती है।वही खामोर से डीयास जाने वाली सड़क वर्षो से कच्ची ही है अभी तक नही बनी है मिट्टी डलवा कर कार्य निकाला जा रहा है।सरकार की गांव गांव ढाणी ढाणी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केवल छलावा साबित हो रहा है वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को इसका पूरा लाभ नही मिल पा रहा है ना जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग सड़के तोड़ने वालो पर कार्यवाही कर रहा है l
15 वर्ष से बसे नही आती,राहगीरों और त्योहारों पर निजी वाहन से जाना पड़ता है गांव।
क्षेत्रफल की दृष्टि से शाहपुरा ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव कहा जाने वाला खामोर वास्तव में बदनसीब गांव है जहा के राजनेताओं की पहचान होने के बावजूद गांव में करीब 15 वर्षो से बसों और परिवहन सेवा से ये गांव वंचित हैं जबकि शाहपुरा से वर्षो पूर्व में बसे तहनाल ,बिलिया, खामोर और डीयास होते हुए पनोतिया निकलती थी वही अन्य गुलाबपुरा के लिए भी बसे शाहपुरा से जुड़ती थी लेकिन अब सीधा शाहपुरा से भीम उनियारा राष्ट्रीय राजमार्ग से गुलाबपुरा जाती है ग्रामीण क्षेत्रों को हाइवे के विकास के नाम पर प्रथक कर दिया जिससे विकास में क्षेत्र के अंदरूनी सैकड़ो गांव पिछड़ गए।15 वर्षो से परिवहन सेवा गांव से होकर नही गुजरने से गांव विकास के मायने से वर्षो पिछड़ गया वही मूलभूत सुविधाओं से आज भी परिपूर्ण नही है और सरकार ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की ओर बढ़ा रही है लेकिन वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में कोई विकास नहीं हो रहा।
जलदाय विभाग द्वारा जगह जगह तोड़ी गई सड़के आमजन के लिए मुसीबत।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारी और कर्मचारी ठेकेदारो पर विशेष ध्यान नही देते है विभागीय कार्यवाही से ठेका देकर लीपापोती को भी स्वीकार कर मिलीभगत से कार्य कर जनता को कष्ठ दायक स्थिति में छोड़ कर चले जाते है ऐसा ही हुआ खामोर गांव में दो वर्ष पूर्व जल जीवन मिशन के अंतर्गत पक्की सड़कों को खोद कर पाइप लाइन डाली गई। गली मोहल्लों में जलदाय विभाग द्वारा अमजानता को पेयजल समस्या से निजात दिलाने के नाम पर ग्राम पंचायत से 2500 रुपए की रशीद कटवा कर नल कनेक्शन दिए गए, नल कनेक्शन और नई लाइन डालने के लिए सड़को तोड़ी गई लेकिन 2 साल बाद आज तक गली मोहल्लों में सड़के रिपेयर नही की गई आए दिन राहगीर,स्कूली बच्चे और बुजुर्ग चोटिल होते हैं लेकिन विभाग ध्यान नही देता जवाब मांगने पर यह कह कर टाल देते है कि टेकेदार भाग गया काम छोड़ कर,दो साल से पूर्व वर्षो के विकास कार्य की जलदाय विभाग ने क्षति ग्रस्त कर दिया और पेयजल के लिए डाली पाइप लाइन से समय पर ना तो लोगो को पेयजल मिलता है ऊपर से सड़को की हालत खराब की जो अलग।ना अब सड़को की रिपेयरिंग करते हैं।जलदाय विभाग के इस रवाये से पूरा गांव परेशान हैं जगह जगह गली मोहल्लों में खड्डे कर रखे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की समस्या समाधान के लिए जिले के उच्च अधिकारी भी ज्यादा ध्यान नही दे रहे और सरकार ग्रामीण क्षेत्रों का विकास चाहती हैं वो कैसे संभव हो पाएगा।