किसानों की आखिरी उम्मीद अब सरकार
जिंदल पर हो कठोर कार्यवाही सांसद और जनप्रतिनिधियों ने भी उठाई थी दिल्ली तक आवाज
जनप्रतिनिधि की आवाज उठाने के बावजूद भी आज भी जिंदल की मनमानी है जारी
आखिर कब होगी जिंदल के खिलाफ कार्यवाही
अवैध ब्लास्टिंग के चलते किसान हुवे परेशान आत्मदाह की दी चेतावनी
पवन बावरी
भीलवाड़ा । जिले के जालिया गांव के किसान 131 दिनों से जिंदल की अवैध ब्लास्टिंग के खिलाफ धरना देकर आंदोलन कर रहे किसानों का आरोप है कि जिंदल अपनी मनमानी कर रहा है। जिंदल की अवैध ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारे आने लगी है वहीं खेतों में बड़े पत्थर आने कारण कभी भी बड़े हादसे का अंदेशा बना हुआ। किसानों ने पहले भी 205 दिनों तक धरना दिया था जिसके बाद सरकार ओर प्रशासन की निंद खुली। सांसद दामोदर अग्रवाल द्वारा लोकसभा में जिंदल के खिलाफ किसानों की मांग भी उठाई जिंदल की अवैध ब्लास्टिंग से केंद्र सरकार को अवगत भी करवाया गया। मांडल विधायक उदय लाल भड़ाना ने भी विधानसभा में आवाज उठा कर किसानों की मांगों को पूरा करने की अपील की थी वहीं न्यायालय द्वारा भी अवैध ब्लास्टिंग को रोकने के आदेश दिए थे। उसके बाद से जिंदल और किसानों के बीच कुल 10 बिंदुओं पर सहमति बनी। अब किसानों का आरोप हे कि जिंदल उन दस बिंदुओं पर अब पलटी मारते हुवे मुकर गया जिसके चलते किसानों ने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया। आज आंदोलन को 131 दिन हो गए मगर किसी भी अधिकारी या प्रशासन ने सुध तक नहीं ली। जिसके कारण अब किसान डर के साए में जीवन जीने मजबूर हैं । किसानों का आरोप हे आएदिन गुंडे आकर हमें धमकाते है जान से मारने की धमकी देते। किसान भंवर लाल का कहना है कि जिंदल की अवैध ब्लास्टिंग से हम परेशान हो चुके हैं हमें अब डर -डर के रहना पड़ता है या तो अवैध ब्लास्टिंग पर रोक लग जानी चाहिए या हम पेट्रोल डालकर सभी ग्रामीण आत्मदाह कर लेंगे किसानों को धरती पुत्र कहा गया मगर आज उसकी आवाज भी सुनी नहीं जा रही। किसान कन्हैया लाल माली ने कहा कि 10 बिंदुओं पर जब हमारी सहमति बनी थी तब जिंदल ने हमारी सारी शर्तों को माना था उसके बाद से जिंदल सभी शर्तों से मुकर गया। आज हमारे घरों को अवैध ब्लास्टिंग के कारण भारी नुकसान हो रहा है छोटे छोटे बच्चे डर डर कर जी रहे हैं। प्रशासन और सरकार हमारी आवाज को बुलंद करे जिससे जिंदल के माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की जावे। जब हमारी टीम ने जिंदल के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने या तो कॉल नहीं उठाया कॉल उठाया तो उचित जवाब नहीं दिया। किसानों का आरोप है कि जिंदल ने न्यायालय के आदेशों की भी अवेहलना की है वहीं सारे नियमों को ताक में रख कर अब किसानों को परेशान किया जा रहा है। पहले तो ब्लास्टिंग से परेशान थे मगर अब गुंडों से परेशान हो चुके हैं। जिंदल कंपनी को राजनीति शरण के कारण अब हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। किसानों ने कहा कि जन प्रतिनिधि और प्रशासन भी अब इनसे मिल चुका है जिसके कारण हमारी आवाज को खामोश किया जा रहा है। किसानों ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन करके भी ज्ञापन सौंपा उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। किसानों ने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है यदि जिंदल के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं होती है तो किस आत्मदाह जैसा कदम उठाएंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन और जिंदल की होंगी। अभी देखना होगा की डबल इंजन की सरकार किस प्रकार जिंदल के खिलाफ कार्रवाई करती है । और किसानों को न्याय मिलता है प्रशासन और सरकार के ऊपर अब किसानों की नज़रें टिकी हुई है और आखिरी उम्मीद अब सरकार के ऊपर बनी है।


