भीलवाड़ा । भीलवाड़ा जिले में संचालित जिंदल सॉ लिमिटेड की अवैध खनन और ब्लास्टिंग गतिविधियों को लेकर ग्रामीणों में लंबे समय से असंतोष और आक्रोश बना हुआ है। हाल ही में आत्मदाह की चेतावनी जैसे उग्र कदमों की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कार्यवाही तेज कर दी है। जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने भीलवाड़ा सांसद द्वारा प्रस्तुत शिकायत पत्र के आधार पर 3 जून 2025 को एक सात सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने 26 जून को बैठक आयोजित कर जिंदल सॉ लिमिटेड द्वारा संचालित खनन गतिविधियों की गंभीरता से समीक्षा की। समिति की अनुशंसा के आधार पर अब मामले की जांच खन सुरक्षा महानिदेशालय (DGMS) को सौंपी गई है।
खनिज विभाग के अधीक्षण खनि अभियंता, भीलवाड़ा द्वारा जिंदल के अधिकृत खनन पट्टों में हो रही ब्लास्टिंग गतिविधियों की जांच हेतु खान सुरक्षा महानिदेशालय, अजमेर क्षेत्र को पत्र प्रेषित किया गया है। इसके अतिरिक्त, जिला कलेक्टर ने 1 अगस्त 2025 को एक अर्ध-शासकीय पत्र जारी करते हुए पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर आवश्यक कार्यवाही की मांग की है।
इस मामले में एक और बड़ा पहलू सामने आया है जिसमें जिंदल कंपनी पर गैर-अधिकृत भूमि, विशेषकर चारागाह भूमि और सार्वजनिक रास्तों पर अवैध खनन किए जाने के आरोप हैं। प्राप्त शिकायतों के अनुसार, कंपनी द्वारा खसरा संख्या 2096 (चारागाह भूमि) और खसरा संख्या 1105 (गैर मुमकिन रास्ता) में अवैध रूप से खनन गतिविधियाँ की जा रही हैं। इस पर खनि अभियंता, भीलवाड़ा द्वारा कंपनी को समुचित साक्ष्यों सहित जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
जिले के डेडवास, धुलखेड़ा, मालोला और सुरास गांवों की लगभग 340 हेक्टेयर चारागाह भूमि पूर्व में जिंदल कंपनी को आवंटित की गई थी। लेकिन इसके बदले में गांवों को कोई वैकल्पिक चारागाह भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई। इस मुद्दे पर प्रशासन को लंबे समय से ग्रामीणों द्वारा अवगत कराया जा रहा था। इस संदर्भ में 2 अगस्त को जिला कलेक्टर को पत्र भेजा गया है, जिसमें वैकल्पिक भूमि आवंटन की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने की आवश्यकता जताई गई है।
पांसल गांव से जुड़ी एक अन्य शिकायत में यह कहा गया कि कंपनी द्वारा गैर मुमकिन नाले (खसरा संख्या 21/44) में मलबा डंप किया जा रहा है। इस शिकायत की जांच तहसीलदार मांडल द्वारा की गई, जिसमें मलबा डंपिंग की पुष्टि हुई है। अब इस पर भी खनि विभाग द्वारा कंपनी से जवाब मांगा गया है।
जिला प्रशासन ने साफ किया है कि आमजन की शिकायतों और पर्यावरणीय क्षति को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी। प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि सभी मामलों की निष्पक्ष और गहराई से जांच की जाएगी तथा दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की इस सक्रियता से एक ओर जहां ग्रामीणों में संतोष की भावना देखी जा रही है, वहीं जिंदल सॉ लिमिटेड पर दबाव बढ़ गया है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की दिशा तय होगी। पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण हितों की रक्षा को लेकर यह मामला अब जिले की प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल हो चुका है।