रेखचन्द्र भारद्वाज
जुरहरा, जिला डीग :स्मार्ट हलचल/जुरहरा में चल रहे रामलीला महोत्सव में बुधवार की रात्रि को लक्ष्मण-बाणासुर संवाद, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर व परशुराम संवाद की लीला का मंचन किया गया। रामलीला का आरम्भ धनुष यज्ञ की लीला से हुआ जिसके तहत राजा जनक की भूमिका में रतन वशिष्ठ ने राजाओं को भरी सभा में अपनी प्रतिज्ञा सुनाते हुए कहा कि शिव के द्वारा उन्हें दिए हुए धनुष को जो भी राजा तोड़ेगा मेरी पुत्री सीता उसी को पति के रूप में वरण करेगी। लीला के तहत धनुष तोड़ने राजा के रूप में आए झम्मन सिंह मानवी, विनोद मानवी, दीपक शर्मा, अमरसिंह शर्मा, कन्हैया जांगिड़ व अन्य कलाकारों ने हास्य के रंग के साथ धनुष को तोड़ने की कोशिश की लेकिन वे धनुष को हिला भी नहीं सके। इसके बाद राजा जनक के निराशाजनक वचनों के बाद गुरु विश्वामित्र भगवान राम को आदेश देते हैं कि वे शिव के धनुष को तोड़ें। आदेश पाकर राम जी शिवजी के धनुष को तोड़ देते हैं। धनुष टूटने के बाद पिता की प्रतिज्ञा के मुताबिक जनकसुता सीता राम के गले में वरमाला डाल देती हैं। उधर शिवजी के धनुष के टूटने की खबर सुनते ही क्रोध में भरे परशुराम दरबार मे पहुंच जाते हैं और गुस्से में कहते हैं धनुष किसने तोड़ा है। जिस पर लक्ष्मण जी उन्हें बताते हैं कि धनुष श्रीराम ने तोड़ा है। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है। रामलीला में राम का अभिनय लक्ष्य शर्मा, लक्ष्मण का अभिनय आशुतोष, सीता का अभिनय मयंक पाठक, रावण का अभिनय नरेश शर्मा, बाणासुर का अभिनय लक्ष्मण अग्रवाल, परशुरामजी का अभिनय चेतन शर्मा, गुरु विश्वामित्र का अभिनय डा. सोहनलाल शर्मा, मंत्री का अभिनय बलराम शर्मा व ऋषिराज पाराशर के द्वारा किया गया। कमेटी के कोषाध्यक्ष महेशचन्द्र शर्मा ने बताया कि रामलीलाओं में काफी दर्शक आ रहे हैं जो रामलीला के समापन तक डटे रहते हैं।