जस्टिन ट्रूडो ने लगभग एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अपने परिवार से बातचीत के बाद उन्होंने लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा देने का “कठिन” फैसला लिया है। ट्रूडो ने कहा कि “आंतरिक लड़ाई” का मतलब है कि वह देश के अगले चुनाव में अपनी पार्टी के लिए “सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकते”।
जस्टिन ट्रूडो ने लेबर पार्टी के नेता और देश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जैसे ही पार्टी उनके विकल्प की तलाश कर लेगी, वैसे ही वह पद छोड़ देंगे। ट्रूडो के कार्यकाल को विदेशी वर्कर्स और स्टूडेंट्स उनकी खराब इमिग्रेशन नीतियों के लिए याद रखेंगे। फिलहाल कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के विकल्प की चर्चा चल रही है। इस रेस में सबसे आगे कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे चल रहे हैं।
पियरे पोइलिवरे ने इमिग्रेशन सिस्टम में बड़े बदलाव का वादा भी किया है। वह लगातार कहते आए हैं कि कनाडा के इमिग्रेशन सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। दिसंबर में, उन्होंने ट्रूडो सरकार द्वारा इमिग्रेशन के प्रबंधन की आलोचना की थी। उन्होंने खास तौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों और कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कामगारों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी। ऐसे में आइए जानते हैं कि अगर पियरे पोइलिवरे कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारतीय छात्रों पर क्या असर होगा।
देश के नए प्रधानमंत्री के तौर पर अगर पियरे पोइलिवरे को चुना जाता है, तो वह कनाडा में होने वाले इमिग्रेशन को कम कर सकते हैं। उन्होंने जो प्रस्ताव दिया है, उसमें कहा गया है कि इमिग्रेशन की दर को आवास, स्वास्थ्य सेवा और नौकरी की उपलब्धता के आधार पर सीमित किया जाएगा। इससे विदेशी छात्रों को मिलने वाले स्टडी परमिट में कमी देखने को मिलेगी। जिस वजह से कनाडा में पढ़ने के लिए एडमिशन और परमिट लेना छात्रों के लिए मुश्किल हो जाएगा।
अगर पियरे पोइलिवरे संसाधनों के आधार पर इमिग्रेशन को बढ़ावा देते हैं, तो इसका असर परमानेंट रेजिडेंसी (PR) पर भी दिखेगा। ग्रेजुएशन के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए PR के रास्ते कम हो सकते हैं। पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट प्रोग्राम (PGWP) के तहत छात्रों को स्टडी परमिट से वर्क परमिट या PR का दर्जा पाने में मुश्किल हो सकती है। वैसे भी कनाडा PR की संख्या हर साल कम कर रहा है। ()