Homeभीलवाड़ाकाछोला रहा बंद,तहसीलदार को सौपा ज्ञान

काछोला रहा बंद,तहसीलदार को सौपा ज्ञान

काछोला 21 अगस्त/स्मार्ट हलचल/वर्षों से अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के साथ हुए भेदभाव, छुआछूत, अमानवीय व्यवहार,बेगार,अत्याचार की वजह से अत्यधिक पिछड़ने के कारण इन वर्गों को सामाजिक मुख्य धारा में लाने के लिए भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद 12, 14, 15, 16, 17, 46, 330, 332, 335, 341 एवं 342 इत्यादि का प्रावधान कर इन वर्गों को राज्य की सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का अधिकार दिया है, लेकिन इन अधिकारों को समय-समय पर न्यायालय के माध्यम से निष्प्रभावी करने की कोशिश की है, जिसके कारण संविधान में 77वां, 81वां, 82वां एवं 85वां संशोधन किये गये । इसका नवीनतम उदाहरण माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा दिनांक 1 अगस्त, 2024 को दिया गया निर्णय है | इसके द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के संवैधानिक प्रावधानों में हस्तक्षेप किया गया है । इस निर्णय के विरोध में बुधवार को भारत बंद के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन जहाजपुर तहसीलदार रवि कुमार मीणा को दिया और बताया कि यह निर्णय का अनुसूचित जाति/जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान घोर विरोध करती है |
महामहिम, अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति व संसद के अलावा अनुसूचित जाति की सूची में किसी तरह के परिवर्तन के लिए कोई अधिकृत नहीं है । अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति संविधान के अनुच्छेद 341 (2) व 342 (2) के तहत किसी जाति एवं जनजाति को सूची में जोड़ा या उसे हटाया जा सकता है । इस प्रक्रिया में राज्य सरकार अपने पूर्ण अध्ययन करके आंकड़ों के साथ अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजनी होती है,

और ज्ञापन में बताया कि आरक्षण का अधिकार संवैधानिक ही नहीं बल्कि अनुसूचित जाति, जनजाति का दो पक्षों की संधि के तौर पर मौलिक अधिकार है, जो पूना पेक्ट के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बीच में ब्रिटिश सरकार की मध्यस्थता में किया गया था, जो अहस्तक्षेपीय एवं अपरिवर्तनशील है | माननीय न्यायालय द्वारा इस अधिकार के साथ छेड़छाड़ असंवैधानिक है | अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति, राजस्थान महामहिम से मांग करती है कि
अनुसूचित जाति-जनजाति के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण अधिनियम आज तक पारित नहीं किया गया जिसे पारित किया जाकर आरक्षण को संविधान की नवीं सूची में डाला जाए, जिससे इनके अधिकारों के साथ भविष्य में छेड़छाड़ नहीं हो |

भारत सरकार में उच्च सेवाओं में “लैटरल एंट्री” शुरू की गई है जिसमें आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। उच्च पदों पर लैटरल एंट्री समाप्त कर उच्च सेवाओं में भर्ती संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से करवाई जाएं

अनुसूचित जाति, जनजाति में उप वर्गीकरण इन वर्गों की एकजुटता को तोड़ने का असंवैधानिक निर्णय है | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के संपूर्ण वर्ग को एक मानकर दिया गया आरक्षण भी अभी तक पूरा नहीं हो रहा है और बहुत बड़ा बैकलॉग अभी भी बाकी है जिसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है | यदि इन वर्गों का उप वर्गीकरण कर दिया गया तो बहुत सी रिक्तियां नहीं भरी जाएँगी और इन्हें सामान्य वर्ग से भरे जाने का प्रयास होगा | अनुसूचित जाति जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति, राजस्थान इसका विरोध करती है।इसको लेकर काछोला तहसील में जहाजपुर तहसीलदार रवि कुमार मीणा को संघर्ष समिति ने ज्ञापन सौपा।इस अवसर पर तहसील अध्यक्ष दुर्गा लाल बैरवा,सत्य नारायण मेघवंशी,मनीष मेघवंशी,राजेन्द्र कुमार रेगर,चाँद मल रेगर,धनराज साल्वी,श्रीराम रेगर,राधेश्याम कंजर,मुकेश मेघवंशी,देवकरण रेगर,भवानी शंकर बैरवा,राकेश मेघवंशी, सोनू मेघवंशी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता समाजजन उपस्तिथ थे।
फ़ोटो केप्शन -काछोला में भारत बंद से काछोला कस्बा रहा बंद,रैली निकालते एससी एसटी संयुक्त संघर्ष समिति के कार्यकर्ता।तहसीलदार को ज्ञापन सौपते हुए।

कस्बा रहा शांतिपूर्ण बंद;-एसीएसटी समुदाय द्वारा भारत बंद का आव्हान पर
बंद के समर्थन में काछोला कस्बा रहा पूरी तरह बंद रहा , दलित संगठनों के लोगों ने शहर में निकाल रहे जुलूस रैली,
कानून व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस बल तैनात, थाना प्रभारी श्रद्धा पचोरी ने खुद संभाल रखी थी सुरक्षा की पूरी कमान
राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया।

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