Homeराज्यउत्तर प्रदेशजन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक फर्ज निभाती पुलिस...

जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक फर्ज निभाती पुलिस : कानपुर में सफल सीपी अखिल की बीट व्यवस्था

जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक फर्ज निभाती पुलिस : कानपुर में सफल सीपी अखिल की बीट व्यवस्था

– जोन दक्षिणी स्तर पर नौबस्ता के कांस्टेबल आशीष शर्मा और थाना स्तर पर सजेती थाने हेड कांस्टेबल राज मणि बेस्ट बीट पुलिस अधिकारी घोषित ,मिला प्रशस्ति पत्र

सुनील बाजपेई
कानपुर।स्मार्ट हलचल/यहां के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार द्वारा लागू की गई बीट पुलिस अधिकारी व्यवस्था योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा की यूपी सरकार की मंशा के अनुरूप अपराधियों के खिलाफ कानून और शांति व्यवस्था के पक्ष में खाईं पाटते हुए लगभग हर दृष्टिकोण से जनहितैषी साबित हो रही है।
यही नहीं पुलिस की जन-जन तक पहुंच को सरल और सुलभ बनाने वाली जनहित में निरंतर अग्रसर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की इस बीट पुलिस अधिकारी व्यवस्था की शर्तों के अनुरूप सफलता प्राप्त करने वाले हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को उनके उत्साहवर्धन के लिए प्रशंसा पत्रों से सम्मानित भी किया जा रहा हैI जिसके क्रम में 648 लोगों से संपर्क कर व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ने वाले दक्षिणी जोन के नौबस्ता थाने के कांस्टेबल आशीष शर्मा को जोन स्तर पर और और 194 लोगों को जोड़ने पर दक्षिणी जोन के ही सजेती थाने के हेड कांस्टेबल राजमणि को बेस्ट बीट पुलिस अधिकारी घोषित करते हुए
दक्षिणी जोन के डीसीपी रविंद्र कुमार द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया।
दरअसल पुलिस में बीट व्यवस्था बहुत पुरानी है। जो सालों से मृतप्राय थी| बताते हैं कि आजादी के कुछ वर्षों तक तो यह व्यवस्था कानपुर में लागू रही लेकिन इसके बाद इस पर किसी भी पुलिस अधिकारी ने ध्यान ही नहीं दिया। इस हिसाब से कानून और शांति व्यवस्था के पक्ष में अपराधियों के खिलाफ और जनता से मधुर संबंधों के संदर्भ में बीट व्यवस्था लागू करने वाले यहां पुलिस कमिश्नर के रूप में अखिल कुमार पहले अधिकारी हैं। उनकी कर्तव्य के प्रति प्रगाढ़ निष्ठा और ईमानदारी लोक हित में सदैव खरी ही उतरी है | जहां तक एडीजी जोन गोरखपुर से स्थानांतरित होकर उनके पुलिस कमिश्नर कानपुर के रूप में पद भार ग्रहण करने का सवाल है। इसका भी अपना आध्यात्मिक पक्ष है, जिसके मुताबिक स्थानांतरण या किसी भी पद पर नियुक्ति के रूप में आपके कदम धरती के उस स्थान पर भी पड़ते हैं ,जहां जन्म के बाद पहले कभी नहीं पड़े होते और उन लोगों से भी मुलाकात होती है ,जिनसे पहले कभी नहीं मिले होते। कहने का आशय यह कि जैसे जन्म तय है। मृत्यु तय है। ठीक वैसे ही जन्म और मृत्यु के बीच वाले काल खण्ड यानी जीवन समय के अनुरूप यह भी तय है कि कौन , कब , कहां पर ,कब तक ,किसके साथ और संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था में अपनी क्या भूमिका अदा करेगा।
इस आध्यात्मिक दृष्टिकोण मुताबिक अगर कोई पीड़ित और दुखी व्यक्ति सहायता के लिए आता है तो इसका मतलब है कि उसके रूप में परमेश्वर ही हमारी ,आपकी या किसी की भी सक्षमता और संपन्नता की परीक्षा लेने आया है|
और इसमें भी आपके आगे का जीवन मार्ग सुखमय होगा या दुखमय इसका भी निर्णय उस पीड़ित और दुखी व्यक्ति की दुआएं या बददुआएं करती हैं ,जो आपके पास सहायता के लिए आता है, क्योंकि किसी के प्रति भी दुआओं और बददुआओं के रूप में बोले गए शब्द कभी नष्ट नहीं होते। और अगर होते तो हमारी या किसी की भी मोबाइल से बात नहीं होती और ना ही वायरलेस जैसे यंत्र इसका प्रमाण बनते। क्योंकि अजर, अमर, अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से बने वाक्य ही लिखने, पढ़ने और बोलने के रुप में ही इस संसार का संचालन करते हैं। मतलब अगर कुछ लिखा न जाए , पढ़ा ना जाए या आदेशात्मक रूप में कुछ कहा या बोला ना जाए तो इस संसार का संचालन हो ही नहीं सकता।
इसी संदर्भ में अगर छोटे या बड़े पद के रूप में किसी भी व्यक्ति के पुलिस विभाग में सेवारत होने का सवाल है तो किसी भी साधारण या फिर किसी सक्षम पद के रूप में पुलिस विभाग में सेवारत होना संसार के अन्य सभी पदों और विभागों की अपेक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था में जितनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस विभाग की है, उतनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका संसार के किसी अन्य विभाग अथवा किसी अन्य सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं ,क्योंकि किसी भी पुलिस कर्मचारी और अधिकारी के रूप में यह महत्वपूर्ण भूमिका संसार में इंसान के जन्म के पहले शुरू होती है और मरने के बाद भी जारी रहती हैl यहां जन्म से पहले मतलब शिकायत पर इस आशय की जांच और विवेचना के रुप में कि पेट में बच्चा किसका है और मृत्यु के बाद भी इस आशय से कि हत्या किसने की है? मतलब इतनी बड़ी भूमिका पुलिस के अलावा संसार के किसी भी विभाग या उसके सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं है।
यही नहीं दूसरों के सुख, चैन और शांति के लिए अपने सुख – चैन को सेवानिवृत होने तक कुर्बान करते रहने वाले देश और समाज के हित में वास्तविक कर्मयोगी पुलिस वालों से किसी का, किसी भी रूप में संबंध और उसका सांसारिक कर्म कर्तव्य भी उसके पूर्व जन्म के कर्मों और संस्कारों के अनुरूप परमेश्वर द्वारा पूर्व नियोजित ही होता है। मतलब संसार में
जो आपको करना है। वह आप कर रहे हैं और जो मुझे करना है। वह मैं कर रहा हूं। लेकिन इसमें भी पूर्व जन्म के कर्म और संस्कारों के अनुरूप अधिकार पूर्ण कर्म सक्षमता भी अलग-अलग ही होती है। वह भी पुलिस विभाग में होने के नाते किसी की इतनी बड़ी कि जितनी बड़ी संसार के अन्य किसी विभाग या सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं। यहां तक कि किसी की हत्या के रूप में मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों का फल दंड के रूप में, आजीवन कारावास या फांसी के रूप में दिलाने की अधिकार पूर्ण सक्षमता भी पुलिस के अलावा संसार के किसी सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं है। इसी से प्रमाणित होता है कि ईश्वर , अल्लाह और गॉड संसार में व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का फल पुलिस विभाग में छोटे से लेकर बड़े पद धारक कर्म योगियों के रूप में देता भी है और निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए किए गए विपरीत आचरण पर अन्य सक्षम के माध्यम से खुद पाता भी है। इसका संबंध चाहे किसी के सुख – दुख से हो या फिर जीवन अथवा मृत्यु से। यहां तक कि अगर कोई किसी बड़े से बड़े पद का धारक भी है तो उसके मूल में भी पुलिस विभाग के छोटे – बड़े उन सभी पदधारकों का ही सेवा कर्म है ,जो निष्पक्ष और पारदर्शी कार्यशैली के वरिष्ठ आईपीएस और वर्तमान में कानपुर के जुझारू तेवरों वाले पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की ही तरह संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था में अपने कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं।

dharti putra
dharti putra
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
kelash ji teli
bansi ad
dhartiputra
2
ad
logo
Ganesh
RELATED ARTICLES