स्मार्ट हलचल/महाराजा मानक पाल के दो संतान थी अमोलक पाल और हरबंक्ष पाल पिता मानकपाल और भाई अमोलक पाल की मृत्यु के बाद अगहन बदी दसवीं (10 ) सोमवार के दिवस सन 1804 में हरबंक्ष पाल का राजतिलक हुआ इनको 25 तोपों की जो की अष्टधातु से निर्मित थी सलामी दी गई हरबंक्ष पाल के 6 रानियां थी इनमें सर्वाधिक प्रेम सुगर विलास से करते थे 1837 में 33 वर्ष राजा रहने के बाद इनकी मृत्यु हुई।
ईन्होंने अपनी महारानी के नाम पर (हर सुख विलास) डाक बंगले का निर्माण सन 1834- 35 में करवाया जो आज विश्राम गृह (डाक बंगले)के रूप में जाना जाता है पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण आज हरसुख विलास में पत्थर पर ऊकेरे गए बेल बूटे तथा काष्ठ कला इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं इसमें बेल बूटे दार छत एवं दीवारों पर उत्कृष्ट शिल्पकारी करवाई गई है पोर्च की डिजाइन एवं दुर्लभ पेड़ पौधे लगाए गए हैं जैसे चंदन आदि के पेड़ जो आज भी मौजूद हैं। वास्तु शिल्प कला तो देखने लायक है सन 1871 में नंद लाल नेहरू नाम के निर्देशक ने इस हर सुख विलास को काफी सुंदर बना दिया आज यह राजस्थान के मशहूर सर्किट हाउस में से एक है वर्तमान में यह सार्वजनिक निर्माण विभाग का बंगला है।
हरसुख विलास (डाक बंगले) के चारों तरफ हर सुख विलास उद्यान है जिस का प्राकृतिक सौंदर्य दूर से ही मन मोह लेता है लगभग 15 बीघा क्षेत्र में फैले इस उद्यान में सफेद चंदन के लगभग 50 पेड़ लगे हुए थे इनकी महक आसपास के वातावरण को शुद्ध कर देती है इस बगीचे में विभिन्न प्रजातियों के फूलदार पौधों के साथ कई प्रकार के फलदार पेड़ भी लगे हुए हैं पेड़ों की टहनियों पर रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाते रहते हैं इस उद्यान के आसपास और भी 18 उद्यान थे जो आज अपनी मूल स्थिति में नहीं है यह बगीचे केशाराम बाग, नया बाग,नवल का बाग,छाहरा बाग, शिकारगंज,राजौर बाग और भोजपुर का बाग आदि नामों से जाने जाते हैं
इस उद्यान परिसर में टेनिस कोर्ट खेल का मैदान तथा गणेश क्लब स्थित है जिसमें नियमित खेल की गतिविधियां होती है यह उद्यान करौली जिला मुख्यालय की सुंदरता में चार चांद लगा देता है और आज भी विदेश से आने वाले पर्यटको का मन को मोह लेता है
-राजेश कुमार मीना