शाहपुरा मूलचन्द पेसवानी
केकड़ी के श्रृंगार रस के प्रसिद्ध गीतकार एवं संवेदनशील कवि देवकरण देव की नवीन काव्य कृति ‘मन चंचल, तन चांदनी’ का विमोचन बाबा रामदेव मंदिर परिसर में आयोजित एक भव्य साहित्यिक समारोह में किया गया। इस अवसर पर साहित्यप्रेमियों, मेघवंशी समाज के गणमान्य बंधुओं एवं नगर के प्रतिष्ठित नागरिकों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी एवं अभियंता सुरेश कुमार मेघवंशी ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में विख्यात साहित्यकार एवं समीक्षक डॉ. कैलाश मंडेला उपस्थित रहे। उन्होंने पुस्तक की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कवि देवकरण देव की यह काव्य कृति श्रृंगार रस के विविध रंगों को आत्मिक संवेदनाओं के साथ जोड़ती है। उनकी अभिव्यक्ति में प्रेम की कोमल अनुभूतियाँ, सौंदर्य के विविध आयाम और मानवीय रिश्तों की धड़कनें सहज रूप से प्रवाहित होती हैं। डॉ. मंडेला ने आगे कहा कि यह पुस्तक पाठकों को भावनाओं की उस दुनिया में ले जाती है जहां मन की चंचलता और तन की चांदनी एक साथ खिलखिलाती प्रतीत होती है।
समारोह में अतिथियों ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कवि विष्णु प्रसाद द्विवेदी ने किया। उन्होंने कवि देवकरण देव की साहित्यिक यात्रा और उनके रचनात्मक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका लेखन सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि भावनाओं को स्पर्श कर हृदय में रस की तरंगें उत्पन्न करता है।
विमोचन समारोह में केकड़ी के मेघवंशी समाज के साथ-साथ अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। इस दौरान मंच से कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच, पंडित उमेश उत्साही, कवि कमल माहेश्वरी, कवि कमलेश शर्मा एवं कवि दिनेश शर्मा ‘बंटी’ ने अपने उद्गार प्रस्तुत किए और कवि देवकरण देव की सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि ‘मन चंचल, तन चांदनी’ युवाओं सहित हर वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणादायी और मन मोह लेने वाली रचना है।
कार्यक्रम के अंत में कवि देवकरण देव ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उनके जीवन के अनुभवों और भावनाओं का संग्रह है, जिसे समाज और पाठकों तक पहुंचाने पर उन्हें गर्व है। साथ ही उन्होंने समाज से साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नई पीढ़ी को लेखन की ओर प्रेरित करने की अपील की।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में मेघवंशी समाज के सदस्यों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया गया और साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयास करने का संकल्प लिया गया।


