सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- केकड़ी के अजमेर रोड स्थित वैष्णव बैरागी छात्रावास में वैष्णव बैरागी समाज चौमालिसा प्रथम केकड़ी के तत्वाधान में द्वारा प्रथम आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन देव उठनी एकादशी के शुभ अवसर पर संपन्न हुआ । जिसमें 22 जोड़ों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाकर अपना जीवनसाथी चुना, विवाह के दौरान संस्था की ओर से वर-वधुओं को उपहार में गृहस्थी का सामन भेंट किया गया, विवाह सम्मेलन में सुबह से ही वर व वधू पक्ष के लोग पहुंचने लगे, अलग अलग मंडपों में हिंदू रीति रिवाज से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विवाह की रश्में संपन्न कराई गई । इससे पूर्व प्रातः 9 बजे करीब वैष्णव छात्रावास से शोभा यात्रा में कस्बे में जगह-जगह बारात पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया, शोभायात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई विवाह स्थल वैष्णव छात्रावास केकड़ी में पहुंची, शोभा यात्रा के बाद वैष्णव छात्रावास परिसर के गेट पर सभी दुल्हों ने तोरण मार कर मंडप में फेरों के लिए पहुंचे तथा उसके बाद आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें तिथि द्वारा सभी वर वधु को आशीर्वाद प्रदान किया गया है, समाज के गौरव एवं अतिरिक्त जिला कलेक्टर जयपुर आनंदीलाल वैष्णव ने संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षा में जागृति के लिए जोड़ दिया बिना शिक्षा के कुछ भी संभव नहीं है, अगर समाज का उत्थान करना है तो आने वाले पीढ़ी को शिक्षा से जोड़ना होगा, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला परिषद सदस्य खुशीराम वैष्णव, वैष्णव बैरागी समाज की समितियां के अध्यक्ष एवं भामाशाहों का स्वागत सत्कार भी किया गया, केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम के द्वारा सभी जोड़ों को कन्यादान में सिलाई मशीन दी, कार्यक्रम में प्रत्येक जोड़े को मंच पर बुलाकर वरमाला की रस्म अदा करवाई गई, सामूहिक विवाह सम्मेलन में हजारों लोग शामिल हुए, जिसमे सभी के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई, पंडाल में मौजूद लोगों ने दूल्हे-दुल्हन पर फूल बरसाए और तालियां बजाकर उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना की, कार्यक्रम में मौजूद वर-वधू पक्ष के लोगों ने जोड़ों को आशीर्वाद दिया, मंच का संचालन जगदीश खुवाड़ा ने किया । विवाह सम्मेलन के अध्यक्ष सीताराम सलारी, अध्यक्षता वैष्णव बैरागी चौमालीसा प्रथम संस्थान के अध्यक्ष प्रहलाद वैष्णव ने की सहित समिति के अनेक पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभालकर सम्मेलन को सफल बनाया, स्थानीय धार्मिक आयोजन में भामाशाहों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ बोली लगाईं, जिसमें विभिन्न संप्रदायों के धार्मिक कार्यों में बोली लगाई गई और लाभार्थी घोषित किए गए ।।