11000 केवी की लटकती हाईटेंशन लाइन बनी जानलेवा आफत, स्कूल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक दहशत में—विधायक से आखिरी उम्मीद
मनोज खंडेलवाल
स्मार्ट हलचल|मंडावर कस्बे की केशव नगर कॉलोनी एक भयावह खतरे की छाया में जी रही है—एक ऐसा खतरनाक तकनीकी संकट जिसे न तो नजरअंदाज किया जा सकता है, न ही प्रशासनिक जिम्मेदारियों से हटकर देखा जा सकता है। आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी यहां के नागरिकों को अपने सिर पर मौत के साए के साथ जीने को विवश होना पड़ रहा है। कॉलोनी की घनी आबादी के ठीक ऊपर से गुज़रती 11000 केवी की हाईटेंशन बिजली लाइनें इस क्षेत्र के लिए एक चलती-फिरती त्रासदी बन चुकी हैं। ये विद्युत लाइनें इतनी नीची और खतरनाक स्थिति में हैं कि लोग अपने घरों की छतों पर जाने से डरते हैं, कपड़े सुखाना, मरम्मत करना या बच्चों को खुले में खेलने देना तक मानो एक आत्मघाती कदम हो गया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इन तारों की दूरी छतों से इतनी कम है कि हल्की हवा, बारिश या आंधी के दौरान ये आपस में टकराकर जबरदस्त स्पार्किंग और आग की चिंगारियाँ फेंकते हैं। कई घटनाओं में तो तारों के टूटकर सीधे मकानों की छतों या गलियों में गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे किसी बड़े हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है। स्थिति को और अधिक भयावह बनाते हैं कॉलोनी में विचरण करने वाले बंदर, जो इन तारों पर कूदफांद करते रहते हैं और विद्युत प्रवाह के बीच अनियंत्रित स्पार्किंग का खतरा और बढ़ा देते हैं।
बारिश के मौसम में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। कॉलोनी के कई घरों में करंट पहुंचने की घटनाएं अब आम हो गई हैं, जिससे घर के अंदर रहना तक असुरक्षित हो गया है। नजदीकी निजी स्कूलों में पढ़ने वाले नन्हें छात्र, संकरी गलियों से गुजरने वाले राहगीर और बुजुर्ग सभी इस आपदा की जद में हैं। किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की स्थिति में कॉलोनी की संकरी गलियाँ इतनी जटिल हैं कि वहां तक फायर ब्रिगेड या एम्बुलेंस जैसे आपातकालीन वाहन भी नहीं पहुंच सकते।
कॉलोनीवासियों का कहना है कि उन्होंने विद्युत विभाग को न केवल लिखित में शिकायतें दी हैं, बल्कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, गृह मंत्रालय हेल्पलाइन, उपखंड स्तरीय जनसुनवाई जैसे तमाम मंचों का सहारा लिया है। लेकिन अफसोस कि इन गुहारों का अंत प्रशासनिक ‘निस्तारण’ की ठंडी मुहर से हुआ, जमीन पर कोई समाधान नहीं आया। हाल ही में जब विधायक राजेन्द्र मीना “विधायक आपके द्वार” कार्यक्रम के तहत मंडावर नगरपालिका कार्यालय पहुंचे, तब कॉलोनीवासियों ने एक बार फिर इस गंभीर समस्या की विस्तृत लिखित शिकायत उन्हें सौंपी। विधायक ने तत्काल विद्युत विभाग को निर्देशित किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी हमेशा इस समस्या के समाधान को भारी खर्च वाला बताते हैं, जिससे यह संकट हमेशा गरीब और मध्यम वर्ग के कंधों पर लटकता रहता है। जिन परिवारों के पास आर्थिक रूप से कोई विकल्प नहीं है, वे जान हथेली पर रखकर जीने को विवश हैं। यह न केवल उनके जीवन के साथ खिलवाड़ है, बल्कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन, सुरक्षा और गरिमा के मूलभूत अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन भी है।
इस पूरे मामले में यदि भविष्य में कोई जनहानि होती है, तो उसकी पूरी नैतिक और विधिक जिम्मेदारी विद्युत विभाग के उन अधिकारियों पर होगी, जिन्होंने समय रहते लोगों की चेतावनियों को नजरअंदाज किया।
अब केशव नगर कॉलोनी के लोगों की अंतिम उम्मीद विधायक राजेन्द्र मीना पर टिकी है। लोग अपेक्षा कर रहे हैं कि वे इस गंभीर खतरे को केवल राजनैतिक संवेदनशीलता के रूप में न देखें, बल्कि इसे जन सुरक्षा के एक न्यायिक और संवैधानिक प्रश्न के रूप में लेते हुए ठोस कार्रवाई करें। अन्यथा यह प्रशासनिक लापरवाही एक दिन किसी मासूम जान के नुकसान की कीमत पर जागेगी—तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।