प्रस्ताव पास होने का इंतजार,क्या तब तक कीचड़ से गुजरते रहेंगे बच्चे,शिक्षा के मंदिर में कीचड़ से सने पांव लेजाने को मजबूर बच्चे…
आखिर ऐसी लापरवाही क्यों..?इतने दिन क्यों ध्यान नहीं दिया..मामला उछला तो ग्रेवल की बात कही,इससे पहले क्या नहीं..?
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)फूलिया कलां उपखंड के गेगवा ग्राम में स्वच्छता अभियान सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गेगवा के मुख्य द्वार के सामने बना रास्ता इन दिनों सड़क नहीं, कीचड़ का दलदल बन चुका है। हालात ऐसे हैं कि मासूम बच्चों को रोज़ फिसलते-संभलते स्कूल पहुँचना पड़ रहा है, शिक्षक कपड़ों में कीचड़ लगाकर कक्षाओं में खड़े हैं और ग्रामीणों के लिए यह रास्ता किसी मुसीबत की गली से कम नहीं रहा।बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर डाल रही इस गंभीर समस्या को लेकर विद्यालय प्रशासन ने मजबूर होकर पंचायत समिति शाहपुरा के विकास अधिकारी को फिर पत्र लिख डाला है। मांग साफ है — विद्यालय भवन के सामने सीसी रोड का तत्काल निर्माण हो, ताकि विद्यार्थियों, स्टाफ व आमजन को राहत मिल सके। लेकिन यह पहला पत्र नहीं है। 23 नवंबर 2024 को भी इसी परेशानी को उजागर करते हुए अधिकारियों को चेताया गया था। तब जवाब मिला — “रास्ते से पानी निकाल दिया गया है।”जमीनी हकीकत? वही कीचड़, वही गंदगी, वही जलभराव — एक इंच भी सुधार नहीं!प्रशासन की “कागजी निकासी” स्कूल की दहलीज तक भी नहीं पहुंच पाई। बच्चों के जूते हर रोज़ कीचड़ में धंसते हैं, गिरने का खतरा बना रहता है और स्वच्छ भारत अभियान के दावे स्कूल गेट पर ही दम तोड़ देते हैं।ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं जब स्कूल का रास्ता ही सुरक्षित नहीं, तो बच्चों की शिक्षा पर सरकार के बड़े-बड़े दावों का क्या मतलब?
क्या हादसे का इंतजार किया जा रहा है ताकि तब जाकर सिस्टम जागे?इस मामले में ग्राम विकास अधिकारी देव कुमार का कहना है कि सड़क व नाली निर्माण का प्रस्ताव जिला परिषद को भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, फिलहाल ग्रेवल डलवाकर अस्थायी राहत देने का आश्वासन दिया गया है।लेकिन सवाल वही है क्या बच्चों को राहत “प्रस्ताव पास होने” के बाद ही मिलेगी?
या फिर सिस्टम किसी बड़े हादसे के बाद जागेगा?गेगवा स्कूल के सामने पसरा यह कीचड़ अब सिर्फ रास्ते की नहीं, प्रशासनिक लापरवाही की पहचान बन चुका है।


