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कोटा विवि की वैश्विक पहचान:श्रीलंका में शोध पत्र प्रस्तुति

श्रीलंका में भारतीय शिक्षा का परचम
सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा: भारत-श्रीलंका के बीच शैक्षणिक गठजोड़ रामायण और बौद्ध पर्यटन नई संभावना

कोटा/कोलंबो/, 6 अक्टूबर। स्मार्ट हलचल|भारत और श्रीलंका के बीच शैक्षणिक और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हाल ही में संपन्न 10वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कोटा विश्वविद्यालय और कोलंबो विश्वविद्यालय के बीच शैक्षणिक साझेदारी की नींव रखी गई।
कोटा विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय की निदेशक प्रो. डॉ. अनुकृति शर्मा ने बताया कि सम्मेलन (ITRC)–2025 का मुख्य विषय “पर्यटन और सतत परिवर्तन” था।
सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की नई संभावनाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। कोटा विश्वविद्यालय के साथ एमओयू, रामायण टूरिज्म एवं बौद्ध टूरिज्म के माध्यम से दोनों देशों के बीच शैक्षणिक अवसर और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वार खुलेंगे। यह कार्यक्रम भारत और श्रीलंका के बीच शिक्षा एवं पर्यटन के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग की आधारशिला माना जा रहा है, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं अकादमिक संबंधों को और अधिक सशक्त करेगा।

कुलपतियों ने जताया उत्साह
कोलंबो विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. इंदिका करुणातिलका ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए दोनों देशों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर बल दिया। कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. डॉ. भगवती प्रसाद सरस्वत ने कहा, “यह कोटा विश्वविद्यालय और भारत के लिए गौरव का क्षण है। हमारे विद्यार्थियों और शिक्षकों का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व भारत की शैक्षणिक प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। यह उपलब्धि गुणवत्तापूर्ण शोध और वैश्विक सहयोग की दिशा में हमारे सतत प्रयासों का परिणाम है।”
उन्होंने कहा कि यह पहल दोनों देशों के छात्रों के लिए नए अवसर खोलने में सहायक होगी। दोनों कुलपतियों के बीच संयुक्त अकादमिक सहयोग को लेकर चर्चा हुई। इस सहयोग का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के विद्यार्थियों के लिए साझा अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर सृजित करना है।

प्रो. शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
कोटा विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय की निदेशक प्रो. डॉ. अनुकृति शर्मा ने सम्मेलन में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने सतत पर्यटन में मानव संसाधन विकास विषय पर सत्र की अध्यक्षता की। इसके अतिरिक्त, वे ‘सतत पर्यटन के लिए सेवा गुणवत्ता संवर्धन’ विषय के सत्र में पैनलिस्ट के रूप में भी शामिल रहीं।
प्रो. शर्मा ने अपने संबोधन में पर्यटन में सतत विकास की आवश्यकता, भारत के नए पर्यटन उत्पादों और ‘मीट एंड ग्रीट’ जैसे पर्यटन शिक्षा एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों की अहमियत पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, “भारत और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग से विद्यार्थियों के लिए नए शैक्षणिक अवसर और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वार खुलेंगे।”

कोटा के छात्रों ने किया शोध प्रस्तुतीकरण
सम्मेलन में कोटा विश्वविद्यालय के दो छात्र पवन विजय और ज्योति ने भी भाग लिया, जिन्हें कोलंबो विश्वविद्यालय द्वारा आंशिक प्रायोजन प्रदान किया गया। यह प्रायोजन कोटा विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय के निदेशक के माध्यम से क्रियान्वित किया गया। दोनों छात्रों ने वेलनेस और चिकित्सा पर्यटन पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिन्हें सराहना मिली।

दक्षिण एशिया में नई दिशा
सम्मेलन के आयोजक प्रो. डी.ए.सी. सुरंगा सिल्वा, प्रोफेसर (पर्यटन अर्थशास्त्र), कोलंबो विश्वविद्यालय, ने कहा कि यह सहभागिता दक्षिण एशिया में सतत पर्यटन विकास और शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करेगी।
यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के बीच शैक्षणिक सहयोग को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यटन क्षेत्र में दक्षिण एशिया के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। भारत-श्रीलंका के बीच यह शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध क्षेत्रीय सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

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