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* ब्राह्मण को यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए
(हरिप्रसाद शर्मा )
पुष्कर/ अजमेर /स्मार्ट हलचल/ धार्मिक नगरी पुष्कर में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण का आयोजन गिरिशानंद आश्रम में आयोजन किया जा रहा है ।
कथावाचक एवं आश्रम के अधिष्ठाता महन्त श्री श्री 1008 स्वामी रामानन्द गिरी ने व्यासपीठ से कथा के चतुर्थ दिवस पर कहा कि लक्ष्मी नारायण के साथ आती हैं तो लक्ष्मी उपयोगी सिद्ध होती हैं । यदि स्वयं लक्ष्मी ही आती है तो वह अभिमान लाती हैं । उन्होंने कहा कि लक्ष्मी रात में आती हैं और उसका वाहन उल्लू होता है ।
उन्होंने कथा के प्रसंग में कहा कि ब्राह्मण का यज्ञोपवीत संस्कार ज़रूर होना चाहिए । यज्ञोपवीत धारण किए बिना ब्राह्मण की श्रेष्ठता कम होती हैं ।
उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि आजकल के युवा यज्ञोपवीत धारण नहीं करते हैं । यह चलन ठीक नहीं है यज्ञोपवीत धारण करना ब्राह्मण के लिए ज़रूरी हैं । कथा में उन्होंने स्पष्ट कहा कि ब्राह्मण यदि यज्ञोपवीत धारण नहीं करता है तो वह पूजा पाठ करने का अधिकारी नहीं होता है ।
कृष्ण जन्मोत्सव से पूर्व व्यासपीठ से श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया गया । गिरी ने कहा कि राम चरित्र जीना सीखाती है । जिस वजह से भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलायें । इसके पश्चात कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया । श्रोताओं को कृष्ण जन्मोत्सव के बारे में श्रवण कराते हुए कहा कि भागवत मरना सिखाती हैं । मृत्यु भय नहीं है । गिरी ने कहा कि मनुष्य की दृष्टि ही सब कुछ कराती हैं । इसके बार में उदाहरण भी देकर श्रोताओं को समझाया कि दृष्टि से पाप किस प्रकार होता है । मनुष्य को अपनी दृष्टि किसी भी प्रति अच्छी रखनी चाहिए । पाप पुण्य का खेल इसी दृष्टि से है इसलिए दृष्टिकोण अच्छा सब अच्छा होता है ।
कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान श्रोताओं की को अन्य दिवस की तुलना में ज़्यादा भीड़ देखी गई ।उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।कथा का श्रवण करने वालों में संत गणेश गिरी, गणपत लाल गौड़, पूर्व पालिका अध्यक्ष जनार्दन शर्मा, शिक्षाविद श्रीमती कान्ता बहन चंदा,शिवरानी शर्मा, ओमप्रकाश पाराशर पत्रकार हरिप्रसाद शर्मा एवं अन्य विशिष्ट श्रोता थे।