बन्शीलाल धाकड़
चित्तौड़गढ़,स्मार्ट हलचल|कृषि विज्ञान केन्द्र,द्वारा विश्व खाद्य दिवस गांव लक्ष्मीपुरा, पंचायत समिति चित्तौड़गढ़ में किसान गोष्ठी के रूप में मनाया गया। जिसमें 45 कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया। कृषक गोष्ठी में उपस्थित किसानो को गृह बाटिका में लगाने हेतु केन्द्र द्वारा पालक, मेथी, धनिया, गोभी के बीज के पेकेट एवं मिर्च व टमाटर की पौध उपलब्ध कराई गई। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सॉलकी, ने बताया की केन्द्र पर इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य दुनिया को भोजन का महत्य बताने के लिए हर साल आज के दिन यानि 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उदेश्य लोगों में सुरक्षित, पौष्टिक और टिकाऊ भोजन के महत्व को समझाया जा सके। हर व्यक्ति के पास हमेशा इतना भोजन होना चाहिए जो उसकी जरूरतों और पसंद के अनुसार सुरक्षित और पोषणयुक्त हो, ताकि यह स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सके। इसके लिए न केवल पर्याप्त भोजन का उत्पादन जरुरी है, बल्कि उसका सही और समान वितरण भी उतना ही आवश्यक है। पहला कृषि उत्पादन को मजबूत करना और दूसरा उत्पादित भोजन का समान और उचित वितरण। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं। ये कार्यक्रम गरीबी कम करने, कुपोषण मिटाने और कृषि क्षेत्र को टिकाऊ बनाने पर केंद्रित हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 के तहत करीब 81 करोड़ लोगों को सस्ते दामों पर अनाज दिया जाता है. जो खाद्य अनाज की कीमतों को स्थिर बनाए रखती है और गरीब परिवारों को मूख और कुपोषण से बचाती है. साथ ही, भारत ने गेहूं, दाल, दूध, शहद जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन को भी बढ़ाया है।श्रीमती दीपा इन्दौरिया, कार्यकम सहायक ने कहा कि हर इंसान को पौष्टिक व संतुलित भोजन का अधिकार है। इसके लिए हमें ऐसी खाद्य प्रणाली विकसित करनी होगी जो न सिर्फ लोगों को भोजन उपलब्ध कराए बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि यह प्रणाली टिकाऊ हो। हमें भोजन की बर्बादी को कम करने और उन सभी लोगो तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के उपाय खोजने होंगे जो लोग भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं। श्री संजय कुमार धाकड़, कार्यकम सहायक ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए विश्व खाद्य दिवस और भी जरूरी हो जाता है जहां अभी भी लाखों लोग कुपोषण का शिकार है। जी.एच.आई. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बच्चों में कुपोषण और बाल मृत्यु दर काफी ज्यादा है। इस स्थिति में, हमें अपने खाद्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए कई जरूरी कदम उवाने होंगे। ये सभी प्रयास और योजनाएं भारत की भूख और कुपोषण को खत्म करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करती हैं कि देश के सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषणयुक्त भोजन मिले, जिससे वे स्वस्थ और सक्रिय जीयन जी सकें। कार्यक्रम के अंत में श्री धाकड़, कार्यक्रम सहायक ने किसान गोष्ठी में उपस्थित सभी कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।


