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लाखों देव भक्तों की मौजूदगी में मालासेरी डूंगरी से प्रयागराज की रथ यात्रा संपूर्ण हुई, भगवान श्री देवनारायण जी की बाल स्वरूप प्रतिमा का किया जलाभिषेक

मोड़ का निम्बाहेड़ा । (सुरेश चंद्र मेघवंशी)

जन-जन के आराध्य देव, सामाजिक समरसता के प्रतीक, भगवान विष्णु के अवतार भगवान, श्री देवनारायण की जन्मस्थली वह माता साडू की अखंड तपोभूमि विश्व विख्यात अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थल मालासेरी डूंगरी से शुक्रवार को निकली रथ यात्रा प्रयागराज में जाकर संपन्न हुई, मंदिर के पुजारी हेमराज पोसवाल के सानिध्य मे मालासेरी डूंगरी से रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ, ढ़ोल नगाड़ो के साथ गाजे बाजे के साथ देव भक्तों ने बड़े उत्साह और उमंग के साथ रथ यात्रा में भाग लिया, रथ यात्रा को राजस्थान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन का पूरा जाप्ता प्रोटोकॉल के साथ साथ चला. सुरक्षा के लिए तीनों स्टेट में रथ यात्रा के आगे पुलिस का पूरा जाप्ता मौजूद रहा. जैसे-जैसे रथ यात्रा का काँरवा आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे ही देव भक्तों की संख्या भी बढ़ती गई. भगवान श्री देवनारायण की कृपा से दो-तीन दिवसीय प्रयागराज तक की रथ यात्रा जब भी किसी शहर अथवा कस्बे से गुजरती तो आगे हजारों की संख्या में लोग हाथों मे पुष्प लिए भगवान श्री देवनारायण की बाल प्रतिमा की झांकी को निहारने के लिए कई घंटे तक खड़े रहते, मानो ऐसा प्रतीक हो रहा हो जैसे भगवान श्री देवनारायण बाल रूप में समस्त देव भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आ रहे हैं. देव भक्तो के साथ-साथ वाहनों का काफिला भी आगे से आगे बढ़ता गया, यह रथ यात्रा बिना कोई विघ्न के यात्रा धूमधाम से जब प्रयागराज में मां गंगा,यमुना, सरस्वती के संगम स्थल पर पहुंची तो ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे भगवान विष्णु के अवतार श्री देवनारायण जी की रथ यात्रा का स्वागत करने के लिए समस्त देवता आकाश मार्ग से पुष्प वर्षा करते हुवे अगवानी करने खुद संगम के तट पर खड़े है, पहली बार भगवान श्री देवनारायण की जन्मस्थली मालासेरी डूंगरी को अखाड़े के लिए जमीन मिली है, और यहां पर आने वाले समस्त देव भक्तों को सभी प्रकार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है, 144 साल बाद प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में देवता भी अमृत स्नान के लिए आते है, क्योंकि यहां पर होने वाले महाकुंभ की वैदिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ मे अमृत स्नान की अपना अलग ही महत्व है , मकर संक्रांति के पर्व पर जैसे ही प्रयागराज के घाट पर मालासेरी डूंगरी से आए रथ एवं हजारों देव भक्तों का आगमन हुआ ढोल नगाड़े के साथ भगवान श्री देवनारायण के जयकारों से पूरे घाट गूंज उठे, कड़ाके की सर्दी मे भी भक्तो का उत्साह देखने लायक था। कुम्भ मे जुटे हजारों लोग भी रथ मे विराजित बाल स्वरूप भगवान श्री देवनारायण जी की प्रतिमा का दर्शन करने उमड़े. मानो ऐसा लगा कि स्वयं विष्णु नारायण यहां साक्षात प्रकट हो गए, मंदिर के मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल के साथ साधु संतो के सानिध्य में हुई इस रथ यात्रा के भक्त जब राजस्थानी वेशभूषा में नाचते गाते हुवे संगम मे गुजरे तो देव भक्तों का समूह मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बड़े अखाड़े के साधु संत शाही स्नान के लिए घाटों की ओर जा रहे हैं. इस महाकुंभ में मकर संक्रांति के पर्व पर पूरे प्रोटोकॉल के साथ प्रमुख अखाड़े के साथ भगवान श्री देवनारायण को बाल प्रतिमा के साथ अमृत स्नान कराया, और सभी देव भक्तों ने भी अमृत स्नान में भाग लेकर पूरे जगत में खुशहाली और मंगल की कामना की. पहली बार हुई इस विशाल रथयात्रा का सकुशल संपन्न होना इस बात का पूर्ण संकेत है, इस रथ यात्रा में समस्त देव भक्तों को भगवान श्री देवनारायण जी का खूब आशीर्वाद मिला। इस मोके पर मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल ,मंदिर समिति अध्यक्ष जयदेव चाड़,महंत बालकदास महाराज पुष्कर,महंत चिड़ियादास महाराज पुष्कर,महंत नारायण दास महाराज जोधगढ़ , पुजारी नारायण पोसवाल मालासेरी , लादू पोसवाल,देवीलाल पोसवाल , मंगलनाथ नाथ बिजोलाव दूदू, पूर्व न्यायाधीश किशन लाल गुर्जर अजमेर आदि कई गणमान्य और श्रद्धालु उपस्थित रहे ।

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