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अमेरा में ग्रामीणों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने की तीखी निंदा की किसान सभा ने, कहा : पेसा और वनाधिकार कानून का खुला उल्लंघन, भाजपा सरकार की नीतियां जिम्मेदार

कोरबा।स्मार्ट हलचल|छत्तीसगढ़ के आदिवासीबहुल सरगुजा जिले में एसईसीएल की अमेरा कोयला खदान विस्तार परियोजना का विरोध कर रहे परसोड़ी कलाँ गांव के आदिवासी ग्रामीणों पर कल हुए लाठीचार्ज और बर्बर पुलिसिया दमन की अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कड़ी निंदा की है। किसान सभा ने एसईसीएल की खदान विस्तार परियोजना को संविधान की पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों, पेसा अधिनियम और आदिवासी वनाधिकार कानून का खुला उल्लंघन बताया है तथा एसईसीएल के प्रशासनिक अधिकारियों और दोषी पुलिसकर्मियों एवं पर कार्यवाही की माँग की है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि पेसा कानून के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और खनन से पूर्व ग्रामसभा की लिखित सहमति अनिवार्य है और वनाधिकार कानून के तहत किसी भी परियोजना को लागू करने से पहले वन भूमि पर आदिवासी अधिकारों की स्थापना की जानी है। इन दोनों कानूनों को देश के किसी भी अन्य कानूनों पर वरीयता मिली हुई है। इस परियोजना में इन दोनों कानूनों का क्रियान्वयन नहीं हुआ है, इसके बावजूद एसईसीएल कोल बेयरिंग एक्ट के नाम पर गैर-कानूनी ढंग से भूमि अधिग्रहण का दावा कर रहा है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की भूमि पर कब्जा करने के लिए पुलिस बल ने पहले झोपड़ियां और उनके शांतिपूर्ण धरना स्थल को तोड़ा और फिर किसानों के खलिहान में पड़ी फसल को आग लगाने की कोशिश की, जिससे तनाव पैदा हुआ और टकराव की नौबत आई है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि इस हिंसक झड़प के लिए भाजपा राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है, जो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी कर कॉर्पोरेट हितों की रक्षा में लगी है।

किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने कहा है कि खनन परियोजना के लिए ग्रामीणों के दमन का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक क्षेत्र में और रायगढ़ क्षेत्र में भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्तावों के आधार पर पुलिस बल की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई और अवैध खनन गतिविधियाँ जारी हैं। कोरबा जिले में कोल इंडिया के सबसे बड़े मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में भी खदान विस्तार के खिलाफ विरोध कर रहे भू-विस्थापितों को पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया था। जिला प्रशासन की अगुआई में बिना एनओसी के ही पेड़ों की कटाई जारी है। किसान सभा नेता ने आरोप लगाया है कि खदान विस्तार के लिए पूरे प्रदेश में भाजपा सरकार दमन का सहारा ले रही है। लेकिन इससे विस्थापन के खिलाफ आंदोलन और तेज ही होगा।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि एक तरफ़ प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पेसा क़ानून का प्रभावी तरीक़े से पालन करने की बात कर रहे हैं, वही दूसरी ओर एसईसीएल और जिला प्रशासन इसका खुला उल्लंघन कर रहा है। खनन के लिए आदिवासियों की बेदखली की मुहिम से भाजपा सरकार का दोगला चरित्र बेनकाब हो गया है। उन्होंने भाजपा राज्य सरकार से अपनी कॉर्पोरेटपरस्त खनन नीतियों को पलटने, पेसा और वनाधिकार कानूनों का उल्लंघन कर चलाई जा रही सभी खनन परियोजनाओं को निलंबित करने और अमेरा खदान विस्तार परियोजना पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।

उन्होंने बताया कि किसान सभा और सहयोगी संगठनों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अमेरा क्षेत्र का दौरा करेगा और नाजायज भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन विकसित करने की रणनीति बनाएगा।

*प्रशांत झा और दीपक साहू द्वारा छत्तीसगढ़ किसान सभा, भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ और आदिवासी मछुआरा संघ (हसदेव जलाशय) की ओर से संयुक्त रूप से जारी।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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