जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए संतुष्ट रहना सीखे,और सकारात्मक सोच रखे-विभूति दीदी
तपस्या भवन पर आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कार विषय पर चर्चा में जुड़े भैया बहिन
काछोला 15 जून -स्मार्ट हलचल/सफलता की कुंजी कहती है कि सफल, स्वस्थ और सुमधुर जीवन का पहला और आखिरी मंत्र है, सकारात्मक सोच यह अकेला एक ऐसा मंत्र है, जो व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाता है सकारात्मक नजरिए वाला व्यक्ति हर मौसम में फलने वाले फल के जैसा होता है जो अपने अच्छे स्वभाव और सोच से आस-पास के लोगों को भी बदल देता है यह बात प्रजापिता ब्रह्कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय तपस्या भवन में आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कार विषय पर संचालिका विभूति दीदी ने कही उन्होंने कहा कि यह सर्व कल्याणकारी मंत्र है. शांति, संतुष्टि, तृप्ति और प्रगति का अगर कोई प्रथम पहलू है, तो वह सकारात्मक सोच ही है। सकारात्मकता से बढ़कर कोई पुण्य नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई पाप नहीं. सकारात्मकता से बढ़कर कोई धर्म नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई अधर्म नहीं।वही दीदी ने कहा कि सकारात्मक सोचेंगे तो आगे बढ़ेंगे,तनाव आपके आसपास भी नहीं फटकेगा,याद रखें, सकारात्मक सोच का अभाव ही मनुष्य की निष्फलता का मूल कारण है।
कहते है सफलता की कोई मंजिल नहीं होती। यह तो एक यात्रा है, जो निरंतर चलती रहती है. इसमें वही आदमी सफल और सुखी है, जो हमेशा सकारात्मक सोच रखता है।जीवन के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध होता है। इस अवसर पर तपस्या भवन पर कई भैय्या बहिन उपस्तिथ थे।