Homeभीलवाड़ा"जीवन में घमंड और अहंकार को त्याग कर प्रकृति की पूजा का...

“जीवन में घमंड और अहंकार को त्याग कर प्रकृति की पूजा का संकल्प ले”– – संत दिग्विजयराम

मांडलगढ़ 20 नवम्बर 2025,
स्मार्ट हलचल| राम स्नेही सम्प्रदाय के संत रमताराम जी के शिष्य युवा संत दिग्विजयराम ने कहा कि जीवन में घमंड और अहंकार को त्याग कर प्रकृति की पूजा का संकल्प ले ताकि स्वत: ही भगवान की शरणागति प्राप्त हो सके। संत दिग्विजयराम ने कास्ट परिवार की ओर से धर्म नगरी मांडलगढ़ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के पंचम दिवस पर व्यासपीठ से कथा अमृतपान करा रहे थे। उन्होंने इन्द्र के मान मर्दन का उल्लेख करते हुए कहा कि जब गोकुलवासी इन्द्र की पूजा करने लगे तो बालकृष्ण ने उन्हें इन्द्र की बजाय गोवर्धन एवं प्रकृति की पूजा का आह्वान किया। जिससे सर्वत्र खुशहाली हो सके। यह सुनकर जब ग्वालबाल गोवर्धन पूजा करने लगे तो इन्द्र ने कुपित होकर घनगौर वर्षा करना शुरू कर दी, तब गोकुलवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने तर्जनी अंगुली पर गोवर्धन को धारण कर ग्वालबालकों को भी इस पुनीत कार्य में सहयोग के लिए जोड़ दिया। लगातार सात दिवस तक गोवर्धन पर्वत को श्री कृष्ण ने अपनी अंगुली पर धारण कर इन्द्र का मान मर्दन करते हुए गोकुलवासियों की रक्षा की। इसी प्रसंग के दौरान आकर्षक झांकी ने समूचे वातावरण को गोकुल रूप परिणित करते हुए ऐसी अनुभूति कराई मानो हजारों सुधि श्रोता और दर्शन गोकुलवासी बन गए हो, इसी दौरान श्रीकृष्ण को प्रतिदिन मैया यशोदा द्वारा आठ प्रकार के भोज्य पदार्थों का भोग लगाने के अनुरूप आठवें दिन श्री कृष्ण को छप्पनभोग न्यौछावर किया गया। उसी अनुरूप कथा महोत्सव के दौरान भी छप्पनभोग की झांकी ने भक्तों का मन मोह लिया। संत दिग्विजयराम ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि शुकदेव मुनि द्वारा ऋषिमुनियों को भागवत श्रवण कराने के दौरान श्री कृष्ण द्वारा डावानल का पान करने, प्रलंबासूर नामक राक्षस के साथ ही धेनूकासूर का बलराम द्वारा वध किया गया। युवा संत ने नाग नथैया के संदर्भ में कहा कि ग्वारबाल संग जब कृष्ण यमुना किनारे खेल रहे थे तो गेंद यमुना में गिर जाने पर श्री कृष्ण गेंद लेने यमुना में कुद गए, जिसमें कालियानाग निवास करता था। उसने कृष्ण पर आक्रमण तो किया, लेकिन श्री कृष्ण ने सात फण वाले कालिया के मस्तक पर पहुंचकर नाग नृत्य करते हुए अपने चरण चिन्हों की छाप देकर धन्य कर दिया। इसी दौरान युवा संत ने अपने ही अंदाज में कानो नाचे रे भजन की प्रस्तुति देकर भक्तों को नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। उन्होंने श्री कृष्ण की माखन चोर लीला का वर्णन करते हुए कहा कि माखन चोरी का यह वृतांत सभी को “सार” ग्रहण करने का संदेश देता हैं। प्रभावति नामक गोपी के प्रसंग में उन्होंने बताया कि हाथ पकड़ने के बावजूद वह मैया यशोदा के समक्ष कान्हा को माखन चोर साबित नहीं कर पाई। ऐसे अनेक प्रसंगों में माखन चोरी की लीलाओं का वर्णन करते हुए जब गुजर जी पकड़ियों हाथ, छुड़ावें दीनानाथ भजन सुनाया तो सभी गोपीभाव से नृत्य करने लगे। उन्होंने कहा कि योगाचार्य ने गौशाला में रोहिणीनन्दन का नाम बलराम तथा यशोदानन्दन का नाम श्री कृष्ण बताया तब मैया यशोदा ने पूछा की कि इसका विवाह किससे और कैसे होगा तब गर्गाचार्य जी ने कहा कि कृष्ण का एक नहीं अनेक विवाह होंगे। उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष में कन्या भ्रूण हत्या, गोमाता पर क्रूरता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत माता के मस्तक पर लग रहे इस कलंक को संकल्प लेकर मिटाना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गौ, गंगा और गायत्री को बचाने की आवश्यकता हैं। इससे पूर्व उन्होंने श्री कृष्ण द्वारा मृणभक्षण करने पर मैया यशोदा को समूचे ब्रह्माण्ड के दर्शन कराने, पूतना, त्रणावत एवं सक्टासूर वध का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि राजा बलि की कन्या रत्नमाला द्वारा वामनरूपी भगवान को दुग्धपान कराने की कल्पना को साकार करने के लिए उसे पूतना स्वरूप में मिला। जिसके द्वारा दुग्धपान के साथ जहरपान कराने के बाद भी गौलोकधाम दिया। संत दिग्विजयराम ने गोकुल में बालकृष्ण के दर्शन के लिए भगवान शिव के आगमन की कथा के संदर्भ में कहा कि नन्दरानी द्वारा स्वर्ण थाली में दान के बाद मना करने पर बालकृष्ण के रूदन करने से आखिर में उन्हें भोलेनाथ की गोद में जाने का अवसर मिल गया। पंचम दिवस पर बड़ी संख्या में मौजूद श्रोताओं के साथ कास्ट परिवार के सदस्यों द्वारा व्यासपीठ की आरती एवं पूजन किया l

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
news paper logo
RELATED ARTICLES