सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल/हिन्द मजदूर किसान पंचायत के राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश महामंत्री, राकेशमणि पाण्डेय ने अधिवक्ता होने की आढ़ में जमीनों मकानों पर कब्जे समेत अपराध कार्यों में लिप्त रहने वाले लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है। उन्होंने अक्सर होने वाले पुलिस और वकीलों के बीच संघर्ष को कानून, शांति व्यवस्था और समाज के लिए खतरा भी बताया है। उन्होंने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि न्यायालय की कार्यवाहियों के मामले में इसका खामियाजा वादकारियों को भुगतना पड़ता है।
छोटे-छोटे विवादों को लेकर अधिवक्ताओं द्वारा घेराव, मारपीट और आन्दोलन करके न्याय व्यवस्था को ध्वस्त करने के प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए चर्चित वरिष्ठ श्रमिक नेता और समाजसेवी राकेश मणि पाण्डेय ने कहा कि जनहित के स्थान पर अपना हित पहले देखने वाले अधिकांश अधिवक्तागण न्यायालय के माध्यम से न्याय दिलाने बजाय स्वयं ही एक जुट होकर न्याय को अपने हाथ में लेने का प्रयास करते हैं। यही नहीं जब न्याय पक्ष में नहीं होता तो जज के विरूद्ध टिप्पणियां और कार्य बहिष्कार किये जाते हैं।
अधिवक्ता होने आढ़ में अधिकांश लोगों द्वारा अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए जमीनों मकानों और दुकानों आदि पर जबरन कब्ज़ा समेत हर तरह के अपराधों को भी अंजाम देने की लगातार बढ़ रही खतरनाक प्रवृत्ति को देश समाज और कानून व्यवस्था के लिए घातक बताते हुए हिन्द मजदूर किसान पंचायत के राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश महामंत्री, राकेशमणि पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान में हजारों अधिवक्ताओं जिनके पास कार्य नहीं है। वह ऐसे अवांछनीय कार्यों में लगे रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सरकार को लिखे गए पत्र में वरिष्ठ श्रमिक नेता और समाजसेवी राकेश मणि पांडेय ने यह भी कहा कि विविदित स्थलों पर अपने नाम का बोर्ड लगाकर डर व भय का माहौल पैदा करके कानून का गला घोटते रहने वाले अनेक अधिवक्ताओं के नाम जमीन कब्जे, मकान कब्जे और छोटी-छोटी घटनाओं में भी नाम आने से भी इस कथन की पुष्टि होती है।
श्रमिक नेता राकेश मणि पांडे ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए अपने पत्र में आपराधिक छवि और अराजक तत्वों को न्याय व्यवस्था से जुड़ी अधिवक्ता कार्यवाहियों से दूर रखने के लिए अधिवक्ता सुरक्षा एक्ट में वांछित प्रविष्टियों को योजित करने और बार काउन्सिल द्वारा भी इस दिशा में कोई प्रभावी नियम बनाने की भी मांग की है ताकि उपद्रव, कार्य बहिष्कार, मार पीट और कब्जा आदि करने वाले आपराधिक स्वभाव वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जा सके।