बूंदी- स्मार्ट हलचल/पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का ‘अंत्योदय’ का सपना, यानी पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुँचाना, बुधवार को तलवास और आंतरदा ग्राम पंचायतों में साकार होता दिखा। ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा‘ के तहत आयोजित शिविर ने दो परिवारों के जीवन में आशा और स्वाभिमान की एक नई किरण जगाई।
देवप्रकाश को मिली नई उम्मीद
देवप्रकाश तलवास पंचायत के हीरापुरा गाँव के एक मेहनती किसान हैं। वर्षों से अपनी जमीन पर पारंपरिक तरीकों से खेती करते आ रहे थे। उन्हें इस बात की चिंता सताती थी कि उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही हैं और लागत के अनुरूप मुनाफा नहीं मिल पा रहा हैं।
इसी चिंता के बीच, जब उन्हें ‘पण्डित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा’ के तहत आयोजित हो रहे शिविर के बारे में पता चला, तो वे एक उम्मीद लेकर वहाँ पहुँचे। शिविर में अधिकारियों ने उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड सौंपा। यह कार्ड महज़ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि उनकी समृद्धि का नया रास्ता था। अब देवप्रकाश को यह पता चल गया हैं कि उनके खेत की मिट्टी को किस पोषक तत्व की कितनी आवश्यकता हैं। इस कार्ड से उन्हें अनावश्यक उर्वरकों पर होने वाले खर्च से मुक्ति मिलेगी, लागत घटेगी और सही पोषण मिलने से पैदावार में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। उनके चेहरे पर खुशी और संतोष का भाव था, क्योंकि अब वे अपनी मेहनत का सही मोल पा सकेंगे।
मेरा घर, मेरा हक, प्रेम बाई का स्वाभिमान
दूसरी ओर, ग्राम पंचायत आंतरदा के देवपुरा गाँव निवासी प्रेम बाई पत्नी राजाराम गुर्जर के लिए यह दिन किसी सपने के सच होने जैसा था। वह वर्षों से अपने पुश्तैनी मकान में रह तो रही थीं, लेकिन उनके पास मालिकाना हक़ का कोई पुख्ता दस्तावेज़ नहीं था।
‘पण्डित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा’ शिविर में जब स्वामित्व योजना के अंतर्गत उन्हें आवासीय भूखंड का पट्टा दिया गया, तो उनकी आँखों में खुशी के आँसू छलक आए। यह पट्टा उनके लिए आत्मसम्मान, सुरक्षा और भविष्य की गारंटी हैं। अब वे गर्व से कह सकती हैं कि यह घर उनका हैं। इस मालिकाना हक़ से उन्हें न केवल सामाजिक सुरक्षा मिली हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी वे सशक्त हुई हैं।