(बजरंग आचार्य)-
स्मार्ट हलचल|अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या 1 राजगढ़ के न्यायाधीश मुनेश चंद यादव ने छह साल पुराने एक हत्या के मामले में प्रेमी और प्रेमिका को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, दोनों पर ₹20,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें तीन साल का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
यह मामला 2019 में दर्ज किया गया था, जब बजावा सुरों का निवासी कुलवंत सिंह ने हमीरवास पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। कुलवंत सिंह के अनुसार, उनके भतीजे मंजीत का विवाह बबीता से हुआ था। मंजीत को पता चला था कि उसकी पत्नी बबीता के शादी से पहले से ही नरेश कुमार, निवासी बुढ़ावास, के साथ प्रेम और अवैध संबंध थे, जो शादी के बाद भी जारी रहे।
इन संबंधों के चलते मंजीत और बबीता के बीच अक्सर झगड़े होते थे। मंजीत के परिवार ने नरेश को उनके घर पर भी देखा था। जब मंजीत ने इस पर आपत्ति जताई, तो नरेश और बबीता ने उसे जान से मारने की धमकी दी। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि हत्या से कुछ दिन पहले नरेश मंजीत को मारने के लिए उसके घर भी गया था, लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों की मौजूदगी के कारण वह सफल नहीं हो पाया।
षड्यंत्र रचकर की हत्या
घटना के दिन मंजीत अपनी मोटरसाइकिल से गांव बजावा सुरों का लौट रहा था। उसी दौरान, नरेश और बबीता ने मिलकर एक षड्यंत्र रचा। नरेश ने अपनी गाड़ी से मंजीत की मोटरसाइकिल को टक्कर मारकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने अनुसंधान के बाद नरेश और बबीता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302/34 और 120बी के तहत आरोप पत्र पेश किया।
अदालत में अभियोजन पक्ष ने कुल 19 गवाहों की गवाही दर्ज कराई और 77 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए। न्यायाधीश ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य, जिसमें मोबाइल कॉल डिटेल की कड़ी भी शामिल थी, को महत्वपूर्ण मानते हुए नरेश और बबीता को दोषी पाया।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में यह भी कहा कि मृतक मंजीत अपने माता-पिता की इकलौती संतान था, इसलिए उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके लिए, मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा गया है।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सुनील जांगिड़ ने की, जबकि परिवादी की ओर से अधिवक्ता प्रीतम कुमार शर्मा और भंवरलाल पूनिया ने पैरवी की।


