लोहड़ी का त्यौहार ,सिर्फ मूंगफली-गजक तक सीमित नहीं, कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है नाता ,
लोहड़ी त्योहार फसल पकने और अच्छी खेती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
स्मार्ट हलचल धनराज भंडारी
सुनेल 14 जनवरी
कस्बे में 13 जनवरी शनिवार की देर रात्रि को पहली बार लोहड़ी का त्योहार हर्ष ओर उल्लास के साथ तहसीलदार आवास पर तहसीलदार राहुल कुमार कलोरिया के द्वारा विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर मनाया गया । तहसीलदार कलोरिया ने बताया कि यह त्योहार उत्तर भारत के राज्यों में, खासतौर से पंजाब, हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। आज कल दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी लोहड़ी मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग एकजुट होते हैं और नाच-गानों के साथ यह पर्व मनाते हैं। यह पर्व केवल मूंगफली, गजक-रेवड़ी के बीच तक सीमित नहीं है, बल्कि इस पर्व को मनाने के पीछे एक खास वजह है।
दरअसल, लोहड़ी त्योहार फसल पकने और अच्छी खेती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। सूर्य के प्रकाश व अन्य प्राकृतिक तत्वों से तैयार हुई फसल के उल्लास में लोग एकजुट होकर यह पर्व मनाते हैं। इस दिन सभी लोग इकट्ठा होकर सूर्य भगवान एवं अग्नि देव का पूजन कर उनका आभार प्रकट करते हैं। यह पर्व समाज में आपसी सद्भाव और प्रेम को भी दर्शाता है। लोहड़ी के समय फसल पक जाती है और उसे काटने का वक्त आ चुका होता है। इस अवसर पर लोग अग्नि देव को रेवड़ी और मूंगफली अर्पित करते हैं तथा आपस में वितरित करते हैं। इसलिए यह त्योहार आपसी सरोकार और प्रेम को भी दर्शाता है।
इस दौरान शब्द कीर्तन के साथ सामूहिक अरदास का आयोजन किया। वहीं लोहड़ी को अग्नि जलाकर श्रद्धालुओं ने अग्नि के सात फेरे लेकर अग्नि में मूंगफली, तिल, गुड़ आदि डाला गया। युवाओं, महिलाओं ने भांगड़ा नृत्य कर पर्व मनाया।