भीलवाड़ा । राज्य सरकार के निर्देशानुसार एवं जिला प्रशासन के तत्वावधान में बुधवार को नगर निगम सभागार में लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सेनानियों को भावपूर्ण सम्मान अर्पित किया गया। समारोह की शुरुआत राष्ट्रगीत एवं मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुई। अतिथियों द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को माला पहनाकर, शॉल ओढ़ाकर एवं पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया। इस गरिमामयी समारोह में जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू, नगर निगम महापौर राकेश पाठक, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा, उपमहापौर रामलाल योगी, एडीएम शहर प्रतिभा देवठिया, सहायक कलक्टर एवं नोडल अधिकारी अरुण जैन सहित अनेक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। साथ ही लोकतंत्र रक्षा मंच के अध्यक्ष गोविंद नारायण राठी, मंच के सचिव रजनीकांत आचार्य, लोकतंत्र सेनानी, उनके परिजन एवं शहर के गणमान्यजन भी मौजूद रहे।
आपातकाल की स्मृतियाँ और साहस की दास्तान–
समारोह के दौरान लोकतंत्र सेनानी रजनीकांत आचार्य ने आपातकाल के समय की भयावह स्थितियों को याद करते हुए बताया कि कैसे नागरिक अधिकारों को कुचल दिया गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया, और न्याय व्यवस्था को भी प्रभावित किया गया। उन्होंने इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अंधकारमय कालखंड बताया। वहीं, सेनानी मिठूलाल सोनी ने बताया कि उस दौर में नागरिकों ने असाधारण साहस का परिचय देते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सत्ता के दमनचक्र के बावजूद सत्य की आवाज को दबाया नहीं जा सका। उक्त वक्ताओं ने कहा कि उस समय सेंसरशिप लागू थी, रातों-रात गिरफ्तारियाँ होती थीं, समाचार पत्रों की स्वतंत्रता छीन ली गई थी और विपक्षी विचारधारा रखने वालों पर कहर टूटता था। इन परिस्थितियों में लोकतंत्र सेनानियों ने अपार साहस दिखाया और जेलों की यातनाएँ सहते हुए भी अपने आदर्शों से विचलित नहीं हुए।
पुस्तक भेंट कर सम्मान–
इस अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित विशेष पुस्तक लोकतंत्र रक्षा की कहानी सेनानियों की जुबानी भेंट स्वरूप दी गई। इस पुस्तक में आपातकाल के दौरान सेनानियों के संघर्षों, अनुभवों और उनके अदम्य साहस का दस्तावेजी संकलन प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम में वक्ताओं ने लोकतंत्र सेनानियों को आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और कहा कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे संघर्षों की स्मृति बनी रहनी चाहिए। समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। समारोह ने न सिर्फ बीते संघर्षों को पुनर्जीवित किया, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए नागरिक चेतना को भी जागृत किया।