महेंद्र कुमार सैनी
स्मार्ट हलचल/नगर फोर्ट उनियारा उपखंड के सुरेली कस्बें में स्थित अतिशयकारी पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातःकालीन बेला में जैन श्रद्धालुओं द्वारा मंगलाष्टक का वाचन करके श्रीजी को पाण्डुकशिला पर विराजमान कर जैन विधि विधान से उनका जलाभिषेक एवं विशेष शांतिधारा की। मंदिर परिसर में भगवान के जयकारों के साथ भक्तों ने श्रीजी के सम्मुख बैठकर बधाई गीत गाया। कार्यक्रम के दौरान श्रीजी पर जलाभिषेक करने का सौभाग्य हरीश जैन पाण्डया,हेमचन्द सौगाणी,सुनील पाटनी एवं निर्मल पाण्डया को मिला। मंदिर व्यवस्थापक हेमचन्द सौगाणी ने बताया कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अत्यन्त शांति का एहसास होता है। उन्होंने भगवान पार्श्वनाथ की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इनकी माता वामा देवी ने गर्भकाल के दौरान स्वप्न में सर्प देखा था और जन्म के पश्चात इनके शरीर पर सर्प चिन्ह होने की वजह से इनका नाम पार्श्व रखा गया। पार्श्वनाथ तीसवर्ष की आयु में ही गृह त्याग कर संन्यासी हो गए और जैनेश्वरी दीक्षा ली। बनेठा समाज के हरीश जैन ने बताया कि वहीं चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर बनेठा में 108 रिद्धि सिद्धि मंत्रों से भगवान का कलशाभिषेक किया गया। इस मौके पर जैन समाज के कई श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।


