इंजी.अतिवीर जैन ‘पराग’
स्मार्ट हलचल|पहलगाम के आतंकी हमले में दो विदेशियों सहित 26 व्यक्तियों की मौत और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए । यह हमला ऐसे समय हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस भारत के दौरे पर है , और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर गए हुए थे । इस भीषण आतंकी हमले के बाद घाटी में पर्यटन कारोबार का ठप होना बिल्कुल तय है । सरकार को आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान की कमर तोड़ना बहुत जरूरी है । यह सर्व विदित है कि सभी आतंकी संगठन विभिन्न नामों से पाकिस्तान के द्वारा ही संचालित है । पाकिस्तान भारत से युद्ध की स्थिति में तो कभी जीत ही नहीं सकता इसलिए वह अपने आतंकवादी खेल के द्वारा कश्मीर घाटी में सामान्य स्थितियों को बिगाड़ने के लिए नियमित रूप से आतंकियों को भेजता रहता है। अब समय आ गया है कि भारत को भी इजरायल की तरह पाकिस्तान में घुसकर आक्रमण करना चाहिए। पाकिस्तान के जिस भी शहर में आतंकी संगठन के नेता बैठे हुए हैं वहां घुसकर उनको खत्म करना चाहिए और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को सैनिक कार्रवाई कर भारत में मिला लेना चाहिए,जिससे पाक से नियमित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर विराम लग सके। यह भी सोचने का विषय है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह घाटी में पहला बड़ा हमला है। यानी अनुच्छेद 370 हटाने के पांच साल तक कोई भी बड़ा हमला आतंकवादियों द्वारा नहीं किया जा सका क्योंकि उस समय वहां पर राष्ट्रपति शासन लगा रहा और अब जबकि चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला की सरकार अक्टूबर 2024 में कश्मीर में शासन में आई तो छह महीने के अंदर ही इतना बड़ा आतंकी हमला हो गया। क्या इससे नेशनल कांफ्रेंस सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगता ? जैसा कि खबरों में आ रहा है कि इस समय 150 से ज्यादा आतंकी जम्मू और श्रीनगर में घाटी में सक्रिय हैं। इसका मतलब क्या निकाला जाए ? उमर अब्दुल्ला की सरकार आने के बाद आतंकियों को जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करने में आसानी हो गई है ? और इसी कारण यह हमला हुआ है ? जब एक चुनी हुई सरकार कश्मीर में है तो क्या उसका कोई दायित्व नहीं बनता ? क्या उसकी कोई जवाबदेही नहीं है ? सिर्फ केंद्र सरकार घाटी में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार या जवाब देह क्यों ? पिछले लगभग सात दशकों से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस, पीडीपी या नेशनल कांफ्रेंस की सरकारें रही जो लगातार आतंकवाद को और आतंकवादियों को पालती पोसती रही। घाटी की मस्जिदों में आतंकवादियों को और हथियारों को शरण दी जाती रही है।पहले भी जम्मू कश्मीर सरकार में 60 से 80% तक पाक समर्थक कर्मचारी रहे थे और आज भी यह संख्या 30 से 50% तक हो सकती है । 1990 के बाद तो आतंकवादियों की शरण स्थली गर्मियों के मौसम में जम्मू के सरकारी क्वार्टर हुआ करते थे, क्योंकि उस समय वहां के कर्मचारी श्रीनगर चले जाया करते थे। जब सर्दियों में राजधानी जम्मू आ जाती थी तो श्रीनगर के सरकारी क्वार्टर आतंकवादियों की शरण स्थली बने रहते थे।आज मौजूदा परिस्थितियों में जरूरी है कि जम्मू कश्मीर के सभी सरकारी कर्मचारियों की भारतीय निष्ठा की जांच की जाए और वहां देश के दूसरे राज्यों के नागरिकों को नौकरियां दी जाए, जिससे सरकार प्रायोजित आतंकवाद खत्म हो सके।
उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत सरकार पहले की तरह इस बार भी कोई बड़ी कार्रवाई करेगी पर इस बार पाक अधिकृत कश्मीर को भी भारत में मिला लेना चाहिए तभी आतंकवाद पर कुछ हद तक लगाम लग पाएगी।(लेखक रक्षा मंत्रालय के पूर्व उपनिदेशक हैं)