– शहरी विकास और महिला सशक्तिकरण पर दो दिवसीय विमर्श में लखनऊ से प्रभावशाली सहभागिता
समर्थ कुमार सक्सेना
लखनऊ। हरियाणा के मानेसर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स में गुरुवार से शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय शहरी स्थानीय निकाय अध्यक्ष सम्मेलन में लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर निकायों के सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व को लेकर प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं। इस आयोजन में देशभर के महापौर, पार्षद, जिला परिषद अध्यक्ष, नगर विकास अधिकारी और शहरी नियोजन विशेषज्ञ शामिल हुए। वहीं लखनऊ नगर निगम से पार्षद शैलेंद्र वर्मा और अपर नगर आयुक्त ललित कुमार ने भी इस आयोजन में हिस्सा लिया।
पहले दिन हुए सत्र: शहरी प्रशासन लोकतंत्र और नवाचार पर केंद्रित
सम्मेलन के पहले दिन यानी गुरुवार, 3 जुलाई को “शहरी विकास में स्थानीय निकायों की भूमिका”, “लोकतंत्र को मजबूत करने में नगर निकायों का योगदान”, और “शहरी प्रशासन में नवाचारों की आवश्यकता” जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष आदरणीय ओम बिरला, राज्यसभा उपसभापति आदरणीय हरिवंश, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण, हरियाणा के नगर विकास मंत्री विपुल गोयल, समेत अनेक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और नीति-निर्माता मंच पर उपस्थित रहे।
लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने पहले दिन अपने संबोधन में नगर निगम की हालिया उपलब्धियों को साझा करते हुए बताया कि कैसे शहर में 1200 से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों से कूड़ा प्रबंधन, स्मार्ट टॉयलेट्स, डिजिटल टैक्स, ओपन जिम, वॉटर एटीएम और नागरिक सहभागिता ऐप्स जैसे नवाचार अपनाए गए हैं।
उन्होंने शिवरी सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट की हाईटेक तकनीक और लखनऊ को Zero Waste City बनाने के प्रयासों की जानकारी भी दी।
महापौर ने 74वें संविधान संशोधन के पूर्ण क्रियान्वयन की मांग करते हुए कहा कि नगर निगमों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता, वित्तीय अधिकार और प्रशासनिक संरचना में मजबूती देना आज की आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण सत्र में महापौर मुख्य अतिथि के रूप में रहीं
सम्मेलन के दूसरे सत्र में, “महिलाओं के सशक्तिकरण के साधन के रूप में शहरी स्थानीय निकाय: समाज और राजनीति में नेतृत्व के लिए महिलाओं को तैयार करना” विषय पर चर्चा हुई, जिसमें महापौर सुषमा खर्कवाल मुख्य अतिथि रहीं।
इस विशेष सत्र में लोकसभा सचिवालय की निदेशक रचना शर्मा और नगांव (असम) नगर पालिका बोर्ड की अध्यक्ष अंबिका मजूमदार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
महापौर ने कहा कि भारत की महिलाएं अब केवल प्रतिनिधि नहीं, बल्कि नीतियों की दिशा तय करने वाली निर्णायक बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 46% पार्षद महिलाएं हैं, जो शहरी विकास की प्राथमिकताओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामुदायिक कल्याण जैसे मानवीय क्षेत्रों की ओर ले जा रही हैं।
महिलाओं की भागीदारी से समाज के संवेदनशील पहलुओं को नई प्राथमिकता मिली है, लेकिन उन्हें प्रशासनिक अनुभव, बजट प्रक्रिया की समझ और तकनीकी प्रशिक्षण जैसे कई मोर्चों पर सशक्त किए जाने की आवश्यकता है।
भविष्य की दिशा
महापौर ने महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने हेतु प्रशिक्षण, संस्थागत सहयोग, और समाजिक दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि महिला जनप्रतिनिधियों को जलवायु परिवर्तन, डिजिटल शासन और वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों पर सशक्त किया जाए और राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें पर्याप्त संसाधन और अवसर दिए जाएं।