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गैर मुस्लिमों को धार्मिक शिक्षा देने पर मान्यता होगी रद्द,मदरसों में  9,000 से अधिक हिंदू बच्चे ,हर मदरसे की जाँच के आदेश

मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, श्योपुर, रीवा सहित कई जिलों के मदरसों में सरकारी अनुदान हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। खुलासे के बाद श्योपुर के 80 में से 56 मदरसों की मान्यता रद्द कर दी गई है। अब मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को राज्य के सभी मदरसों का भौतिक सत्यापन करने के लिए कहा है। हिंदू बच्चों उनका पंजीकरण रद्द होगा।

सत्यापन के दौरान किसी भी मदरसे में फर्जी तरीके से गैर-मुस्लिम या मुस्लिम बच्चों के नाम पाए जाते हैं या बच्चों को उनके अभिभावकों की अनुमति के बिना धार्मिक शिक्षा दी जा रही होगी तो उनकी मान्यता रद्द की जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने शुक्रवार (16 अगस्त 2024) को यह नोटिस जारी किया है। यह राज्य की मोहन यादव सरकार ने आदेश जारी किया है।

जारी आदेश में कहा गया है कि यह विषय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) नई दिल्ली द्वारा संज्ञान में लाया गया है कि प्रदेश के मदरसों में शासकीय अनुदान प्राप्त किए जाने के उद्देश्य से अनेक गैर मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी रूप से छात्र/छात्राओं के रूप में दर्ज हैं। इसका शीघ्र सत्यापन कराए जाने की जरूरत है।

स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट जल्द देने को निर्देश दिए हैं। गैर-मुस्लिमों को शिक्षा देने या मुस्लिम बच्चों के नाम फ़र्ज़ी तरीके से दर्ज करने या किसी भी धर्म के बच्चे को बिना अभिभावकों की अनुमति के दीनी तालीम देने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फर्जी तरीके से गैर मुस्लिम बच्चों के भी नाम

शुक्रवार को स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यह विषय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  (एनसीपीसीआर), नई दिल्ली द्वारा संज्ञान में लाया गया है कि प्रदेश के मदरसों में शासकीय अनुदान प्राप्त किये जाने के उद्देश्य से अनेक गैर मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी रूप से छात्र/छात्राओं के रूप में दर्ज हैं। इसका शीघ्र सत्यापन कराये जाने की जरूरत है।

भौतिक सत्यापन कराया जाए

इसलिए ऐसे मदरसे जो मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं, उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए। इस बात की जांच की जाए कि इन मदरसों में शासन से अनुदान प्राप्त करने के लिए फर्जी रूप से गैर-मुस्लिम अथवा मुस्लिम बच्चों के नाम दर्ज तो नहीं हैं। यदि ऐसे मदरसों में फर्जी रूप से बच्चों के नाम दर्ज पाए जाते हैं तो अनुदान बंद करने, मान्यता समाप्त करने एवं प्रावधानों तहत कार्रवाई की जाए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (एनसीपीसीआर) ने इससे पहले दावा किया था कि राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त के उद्देश्य से मदरसे गैर-मुस्लिम बच्चों को दाखिला दे रहे हैं। छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन कराया जाता है ताकि उन्हें राज्य सरकार से अधिक अनुदान मिल सके।

मदरसों में  9,000 से अधिक हिंदू बच्चे

इस साल जून में एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि, मध्य प्रदेश में 9,000 से अधिक हिंदू बच्चे इस्लामिक मदरसों में रजिस्टर हैं। इसके बाद आयोग ने मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से सर्वेक्षण कराने की मांग की थी।

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