स्मार्ट हलचल|हरनावदाशाहजी क्षेत्र में इस बार खरीफ सीजन किसानों के लिए भारी संकट लेकर आया है। लगातार बारिश, खेतों में पानी भराव और कीट प्रकोप ने मक्का, उड़द, सोयाबीन जैसी फसलों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। सालर खोह, अमृतखेड़ी, कुम्भाखेड़ी, बोरखेड़ी, फुलबड़ौद, देवरीमुंड, कचनारिया, झनझनी, मानपुरा, सहजनपुर समेत दर्जनों गांवों के किसान आज कर्ज और संकट की मार झेल रहे हैं।
किसानों ने बताया कि इस बार बीज, खाद और दवाइयाँ उधार लेकर बोवाई की गई थी। उम्मीद थी कि अच्छी पैदावार से खर्च निकल जाएगा और कुछ बचत भी होगी, लेकिन अब खेतों में सूखे डंठल और सड़े पौधों के सिवा कुछ नहीं बचा।
ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई गिरदावरी सर्वे नहीं हुआ है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है।
भाजपा युवा नेता मोनू तिवारी ने कहा – “फसलें खराब होने से किसानों की मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिर गया है।”
वहीं कृषि विभाग के पुष्पेन्द्र नागर ने माना कि “शुरुआत की बारिश ने फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। विभाग स्थिति पर नजर रखे हुए है और रिपोर्ट तैयार की जा रही है।”
किसान नेताओं ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर उचित मुआवजा, बीज व खाद पर राहत पैकेज और कर्ज माफी की घोषणा की जाए। अब किसान पंचायतें बुलाकर सामूहिक रूप से आंदोलन की रणनीति बनाने की तैयारी में हैं। अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो ग्रामीण इलाकों में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा हो सकता है।