नीमराना व आसपास क्षेत्र में ईंट भट्टा पर पांच फीट से अधिक खोदी गई मिट्टी।
बंजर हो रही कृषि भूमि
स्मार्ट हलचल|सरकार द्वारा कृषि योग्य भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए तरह तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। मनरेगा के तहत बंजर व अनुपयोगी भूमि का समतलीकरण कर उसे कृषि योग्य भूमि बनाने के लिए सरकार किसानों को राशि मुहैया कराती है। ताकि सभी भूमि को उपजाऊ बनाया जा सके। देश में कम हो रही अन्न उत्पादन क्षमता पर सरकार चिंता भी जताती है। इसी को ध्यान में रख कर कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जाती है। कम भूमि में अच्छी उपज हो, लेकिन जब खेती करने योग्य भूमि ही नहीं बचेगी तो लोगों को एक-एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ेगा। मगर चिमनियों में खपाई जाने वाली मिट्टी खोदकर कृषि भूमि को लगातार बंजर किया जा रहा है।
खनन विभाग से लेनी होती है परमिशन
ईंट भट्टा मालिकों को कृषि योग्य भूमि से मिट्टी निकालने के लिए खनन विभाग से परमिशन दिया जाता है। लेकिन परमिशन देने से पहले संबंधित अधिकारी से रिपोर्ट मांगी जाती है। अनुशंसित भूमि की मिट्टी निकाली जाती है या नहीं, अगर मिट्टी निकालने वाली भूमि के बगल का किसान आपत्ति कर देगा तो उस भूमि से मिट्टी निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। क्योंकि बगल वाले खेत से मिट्टी निकलने के बाद उसके खेत की उपजाऊ मिट्टी का क्षरण भी होने लगता है। ऐसी स्थिति में भट्टा संचालक उस व्यक्ति को भी रुपए का लालच दिखाकर अनुमति दिलाने के लिए बाध्य कर देते हैं।
खनन नियमों का खुलेआम कर रहे हैं उल्लंघन
राठ मंच के अध्यक्ष मनोज मुद्गल एडवोकेट ने बताया कि नीमराना उपखंड के माजरी कला रोड, रोडवाल, भीमपुरा, सहित आस पास के क्षेत्र में दर्जनों ईंट भट्टा व चिमनियां संचालित की जा रही हैं। जिनमें नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि की मिट्टी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में खनिज विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।